Maths Formula : संख्या पद्धति के सूत्र | Number System Formulas

नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेगे Maths Formula : संख्या पद्धति के सूत्र | Number System Formulas या sankhya padhti formula के बारे में, ये जानकारी Class 1 से लेकर class 12 तक के लिए महत्वपूर्ण है और किसी भी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। Maths Formula BSEB Class 1 to 12 with PDF or All Class Math formula

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❝ संख्या पद्धति के सूत्र (Number System)

धनपूर्ण संख्याएँ (Positive integer):- संख्या 1, 2, 3, 4, 5,…. को धनपूर्ण संख्या कहते हैं इन्हें प्राकृतिक संख्याएँ भी कहते हैं इन्हें से N प्रदर्शित करते हैं|

N = 1, 2, 3, 4, 5, 6,……………..

शून्य (Zero) – संख्या रेखा पर वह प्रतीक है जिस पर हम किसी धनपूर्ण संख्या x से पीछे की ओर x संख्याएँ गिनकर अथवा जिसमें प्रारंभ करके x संख्याएं आगे की ओर गिनकर धनपूर्ण संख्या x पर पहुंच जाते हैं अर्थात

x – x = 0 या 0 + x = x 

ॠणपूर्ण संख्याएँ (Negative Integers):- ……..-4, -3, -2, -1 सभी ऋणपूर्ण संख्याएं कहलाती है|

पूर्ण संख्याएँ या पूर्णांक (Integers):-  – 4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,…… पूर्ण संख्याएँ हैं|

सम – संख्यायें ( Even Number):- जो प्राकृत संख्याएं दो से पूर्णता विभक्त हो जाए उन्हें सम संख्यायें कहते हैं

जैसे :- (i) 32 (ii) 46 (iii) 54 (iv) 90  आदि सम संख्यायें हैं

विषम – संख्यायें (Odd Number):-  जो प्राकृत संख्या 2 से पूर्णतया विभक्त ना हो उसे विषम संख्यायें कहते हैं

जैसे:- (i) 23 (ii) 52 (iii) 45 (iv) 85  आदि सभी विषम संख्यायें हैं

परिमेय संख्याएँ ( Rational Numbers):-  ऐसी संख्याएं जो p/q के रूप में निरूपित की जा सकती है जहां p, q पूर्णांक है, दोनों का कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है तथा q ≠ 0  परिमेय संख्या कहलाती है|

अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Number):-  ऐसी संख्याएँ जो परिमेय नहीं है अपरिमेय संख्या का लाती है|

जैसे – √2 = 1.414213562…….

 π = 3.141592653

वास्तविक संख्याएं (Real Numbers):-  सभी परिमेय तथा अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक संख्याएँ कहलाती है इनका वर्ग सदैव धनात्मक होता है|

भाज्य संख्याएँ (Divisible Numbers):-  वह पूर्ण संख्याएँ जिनके स्वयं और 1 के अतिरिक्त और भी गुणनखंड होते हैं भाज्य संख्याएं कहलाती है, जैसे 4, 6, 9, 15,……

अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers):-  वह पूर्ण संख्याएँ जिनके स्वयं और 1 के अतिरिक्त और कोई गुणनखंड नहीं होते हैं अभाज्य संख्याएं कहलाती है , जैसे 2, 3, 5, 7, 11

सह अभाज्य संख्याएँ (Co – Prime Numbers):-  दो संख्याएँ जिनमें 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं हो  सह अभाज्य संख्याएँ कहलाती है, जैसे 9 और 16.

योगात्मक तत्समक (Additive Identity ):- a + 0 = a  अतः शून्य को योगात्मक तत्समक कहते हैं|

योगत्मक प्रतिलोम (Additive Inverse):- यदि a + 0 = a . अतः a और ( -a ) एक – दूसरे के योगात्मक प्रतिलोम हैं

गुणात्मक तत्समक (Multiplicative Identity):- a x 1 = a अतः 1 को गुणात्मक तत्समक कहते हैं

गुणात्मक प्रतिलोम (Multiplicative Inverse):- यदि a x b = 1 अतः तब a और b  एक दूसरे के गुणात्मक प्रतिलोम हैं

काल्पनिक संख्या (Imaginary Number):- z = a + ib जहाँ a तथा b वास्तविक संख्याएँ हैं, b ≠ 0 तथा i = √-1 अर्थात किसी ऋण आत्मक संख्या का वर्गमूल काल्पनिक संख्या होता है, जैसे √-2, √-3.


संख्याओं पर विशेष बिंदु :-

(i) संख्या 1 ना तो भाज्य है ना अभाज्य.

(ii) ऐसी संख्या जो अभाज्य हो एवं सम संख्या हो केवल 2 है|

(iii) वह दो अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है आभाज्य जोड़ा कहलाती हैं, जैसे 5 व  7, 3 व 5 , 11 व 13, 17 व 19, 29 व 31 आदि

(iv) सभी प्राकृत संख्याएँ  पूर्ण पूर्णांक परिमेय एवं वास्तविक होती है|

(v) सभी पूर्ण संख्याएं पूर्णांक परिमेय एवं वास्तविक होती है|

(vi) सभी पूर्णांक परिमेय एवं वास्तविक होते हैं|

(vii) आभाज्य एवं यौगिक सम तथा विषम संख्याएं होती है|

(viii) सभी पूर्णांक परिमेय एवं और अपरिमेय संख्याएँ ऋणत्मक तथा धनात्मक दोनों होती हैं|

(ix) भिन्न सख्याएँ परिमेय होती हैं 

(x) 2 के अतिरिक्त सभी आभाज्य संख्याएँ विषम होती हैं

(xi) 0 ॠणात्मक एंव धनात्मक नही हैं 


मुख्य बिन्दु :-

(i) किसी संख्या में किसी अंक का जो वास्तविक मान होता है उसे जातीय मान कहते हैं, जैसे 5283 में 2 का जातीय मान 2 हैं |

(ii) किसी संख्या में किसी अंक का अस्थान के अनुसार जो मान होता है उसे उस का स्थानीय मान कहते हैं

(iii) दो परिमेय संख्याओं का योगफल अथवा गुणनफल सदैव एक परिमेय संख्या होती है

(iv) दो परिमेय संख्याओं का गुणनफल तथा योगफल कभी परिमेय संख्या तथा कभी अपरिमेय संख्या होता है

(v) एक परिमेय संख्या तथा एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल तथा योगफल सदैव अपरिमेय संख्या होता है

(vi) ???? एक अपरिमेय संख्या है

(vii) दो परिमेय संख्याओं या दो अपरिमेय संख्याओं के बीच अनन्त परिमेय संख्याएँ या अनन्त परिमेय संख्याएँ हो सकती है

(viii) परिमेय संख्या का दशमलव निरूपण या तो सीमित होता है या असीमीत आवर्ती होता है, जैसे 

(ix) अपरिमेय संख्या का दशमलव निरूपण अंता वाहन आवर्ती होता है

(x) प्रत्येक सम संख्या का वर्ग एक सम संख्या होती है तथा प्रत्येक विषम संख्या का वर्ग एक विषम संख्या होती है

किसी भी पहाड़े का योग उस संख्या के 55 गुने के बराबर होता है अर्थात n के पहाड़े का योगफल = 55n 

12 के पहाड़े का योगफल कितना होगा = 55 x 12 = 660

⇒ 1 से n तक के पहाड़े का योगफल = 55 [ n (n + 1) ] /2

 n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग फल अर्थात = 12 + 22 + 32+ …….+ n2 = {(n +1)(2n +1)}n/6

  n प्राकृत संख्याओं के घनो का योगफल अर्थात = 13 + 23 + 33 + ………..+ n3 = [n(n+1)/2]2

  n प्राकृत सम संख्याओं के वर्गों का योग फल = 22 + 42 + 62 + ………+ n2 = (n+1)(2n+1)2n/3

⇒ n प्राकृत सम संख्याओं के घनों का योगफल = 23 + 43 + 63 + ……..+n3 = 2n2(n+1)2


☀ भाज्यता कि जांच:-

(i) यदि किसी संख्या का अंतिम अंक शून्य हो या अंतिम अंक 2 का गुणज हो, तो वह संख्या 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाएगी, जैसे 30, 36 आदि 2 से विभाजित होगी.

(ii) यदि किसी संख्या के अंकों का योग 3 से विभाजित हो, तो वह संख्या भी 3 से पूर्णता विभाजित हो जाएगी जैसे 402 के अंको का यह योग 6 है तथा 6 , 3 से पूर्णतः विभाजित है अतः 402 भी उस से पूर्णतः विभाजित होगी

(iii) यदि किसी संख्या के अंतिम 2 अंक 4 से विभाजित हो जाते हैं तो वह संख्या 4 से पूर्णत विभाजित हो जाएगी जैसे 372 के अंतिम 2 अंक 72 , 4 से विभाजित हो जाते हैं अतः 372 भी 4 से विभाजित हो जाएगी

(iv) यदि किसी संख्या का अंतिम अंक 0 या 5 हो तो वह संख्या 5 से पूर्णतया विभाजित हो जाएगी जैसे 205, 302 आदि संख्याएँ 5 से पूर्णत विभाजित हो जाएगी

(v) यदि कोई संख्या 2 और 3 से अलग-अलग विभाजित हो रही हो तो वह संख्या 6 से पूर्णता विभाजित हो जाएगी जैसे 510 संख्या 2 से विभाजित हो जाती है और 3 से भी अतः 510 संख्या 6 से पूर्णत विभाजित हो जाएगी

(vi) यह देखने के लिए कि कोई संख्या 7 से विभाजित होती है या नहीं उस संख्या के इकाई के अंकों को 2 से गुणा करके इकाई के अतिरिक्त संख्या में घटाते हैं यदि शेषफल 7 से विभाजित हो जाए तो संख्या 7 से विभाजित होती है यदि संख्या काफी बड़ा हो तो यह क्रिया तब तक दोहराते हैं जब तक संख्या इतनी छोटी प्राप्त ना हो जाए कि उसे सरलता से जांचा जा सके कि वह 7 से विभाजित होती है या नहीं, जैसे 

⇒ 343 की जांच करनी है कि यह 7 से विभाजित है या नहीं

 343 के इकाई के अंक 3 को 2 से गुणा करने पर तथा शेष अंकों वाली संख्या से घटाने पर

34 – 3 x 2 = 28

चूँकी 28,  7 से विभाजित हो जाती है अतः 343 भी 7 से विभाजित हो जाएगी

(vii) यदि किसी संख्या के अंतिम तीन अंक 8 से विभाजित हो जाते हैं तो वह संख्या 8 से पूरी पूरी विभाजित हो जाएगी जैसे 5248 के अंतिम 3 अंक 248 में 8 का भाग पूरा पूरा चला जाता है अतः 5248 संख्या 8 से पूर्णतया विभाजित हो जाएगी

(viii) यदि किसी संख्या के अंकों का योग 9 से पूर्णत विभाजित हो जाता है तो वह संख्या भी 9 से पूर्णतः विभाजित हो जाएगी जैसे 576 के अंकों का योग 18 है जो 9 से पूर्णत विभाजित है अतः 576 भी 9 से पूरी पूरी विभाजित हो जाएगी

(ix) यदि किसी संख्या का अंतिम अंक सुनने हो तो वह संख्या 10 से पूर्णतः विभाजित हो जाएगी जैसे 410 के अंतिम अंक शून्य है अतः 410 भी 10 से पूरी पूरी विभाजित होगी

(x) यदि किसी संख्या के सम तथा विषम स्थानों के अंकों के योगों अंतर 0 अथवा 11 का गुणा जो तो वह संख्या 11 से पूर्णता होती है, जैसे 1573 में विषम स्थान पर अंक 5 और 3 है और इनके योग 8 है तथा सम स्थानों पर 1 और 7 है जिनका योग 8 है अतः इनके योगों का अंतर 0 है अतः 1573 संख्या 11 से पूर्णत विभाजित होगी

इसी प्रकार 9174 में विषम स्थानों के अंकों का योग 1 + 4 = 5 है तथा सम स्थानों के अंकों का योग 9 + 7 = 16 है इन योगों का अंतर 16 – 5 = 11 है जो कि 11 का गुणज है अतः 9174 भी 11 से पूर्ण विभाजित होगी|

• यदि दो अंको की संख्या के अंकों का योग a है तथा यदि संख्या के अंकों को पलट दिया जाए तो  मूल संख्या b से बढ़ जाती है तब,  अभीष्ट संख्या = (11a + b) / 2

• यदि दो अंको की संख्या के अंकों का योग a है तथा यदि संख्या के अंकों को पलट दिया जाए तो  मूल संख्या b से घट जाती है तब,  अभीष्ट संख्या = (11a – b) / 2

• यदि दो अंको की संख्या और उसके उल्टी संख्या का योग x हो, तो उस संख्या के अंको का अभिष्ट योग = x / 11

उदाहरण –  दो अंको की संख्या तथा अंको को उलटने पर प्राप्त संख्या का योग 88 है  तो उस संख्या के अंकों का योग क्या है

हल – संख्या के अंको का अभीष्ट योग = 88 / 11 = 8 

⇒ भागफल =  भाज्य ÷ भाजक (पूर्ण विभाजन में )

⇒ भाज्य = भागफल × भाजक (पूर्ण विभाजन में )

⇒ भाजक = भाज्य ÷ भागफल (पूर्ण विभाजन में )

⇒ भागफल = ( भाज्य – शेषफल ) ÷ भाजक (अपूर्ण विभाजन में )

⇒ भाज्य = भागफल × भाजक + शेषफल (अपूर्ण विभाजन में )

⇒ भाजक = ( भाज्य – शेषफल) ÷ भागफल (अपूर्ण विभाजन में )

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