लोकतांत्रिक राजनीति भाग-2 किताब अध्याय -1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी के बारे में विस्तार से पढेंगे , यहाँ हम Bihar Board Class 10 Civics chapter 1, class 10th civics, लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी Subjective and objective question solution, यहाँ हम नागरिकशास्त्र पाठ 1 का ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव सभी प्रश्नों को जानेगे . सबसे पहले जानते है, class 10th civics, class 10 civics chapter 1 notes, कक्षा 10 नागरिकशास्त्र
BSEB class 10 Civics chapter 1 notes objective Solution
प्रश्न 1. द्वन्द्ववाद क्या है ?
उत्तर– दो परस्पर विरोधी विचार धाराओ के टकराव को द्वन्द्ववाद कहते है . इससे उत्पन्न तीसरी विचार धारा उन दोनों विचारो से उत्तम होता है .
प्रश्न 2. सामाजिक विभिन्नता क्या है ?
उत्तर– किसी क्षेत्र विशेष में अनेक जाति, अनेक धर्म, भाषा, अनेक संस्कृति वाले लोग रहते है . यह स्थिति ही समाजिक विभिन्नता है .
प्रश्न 3. सामाजिक विभाजन का क्या अर्थ है ?
उत्तर– किसी क्षेत्र विशेष में प्रायः विभिन्नताए होती है , परंतु जब हितो के टकराव से समाज या जाति या धर्म या नस्ल या क्षेत्र जाती के अधार पर बाँटा जाता है तब यह स्थिति समाजिक विभाजन कहलाता है .
>>Class 10th civics Chapter 2 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष objective Notes pdf
>>Class 10 Civics Chapter 2 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष subjective Solution Notes pdf
प्रश्न 4. जाती और नस्ल में क्या अंतर है ?
उत्तर– जाती का आधार सामाजिक होता है जबकि नस्ल का आधार जीव शास्त्रीक होता है .
प्रश्न 5. 1961 में मुम्बई में मराठियों की संख्या क्या थी ?
उत्तर– 34%
प्रश्न 6. 2001 में मुम्बई में मराठियों की संख्या क्या थी ?
उत्तर– 57%
>>Class 10 Civics chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Objective solution Notes
>>chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष BSEB Class 10 civics subjective solution Notes pdf
प्रश्न 7. भारत की वितिय या आर्थिक राजधानी कहाँ है ?
उत्तर– मुम्बई
प्रश्न 8. मैसुर में हिंसात्मक करवाई का आधार क्या था ?
उत्तर– क्षेत्रीय विभाजन
प्रश्न 9. मैक्सिको में ओलम्पिक समारोह में विरोध का स्वरूप क्या था ?
उत्तर– नस्ल
प्रश्न 10. बेलिज्यम की राजधानी कहाँ है ?
उत्तर– ब्रुसेल्फ़
प्रश्न 11. ब्रुसेल्फ़ में समाजिक विभाजन का आधार क्या था ?
उत्तर– भाषा
प्रश्न 12. बिहार में समाजिक विभाजन का आधार क्या था ?
उत्तर– धर्म
>>Class 10th Civics Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ Solution Notes pdf
>>class 10 civics chapter 5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ solution Notes pdf
प्रश्न 13. श्रीलंका में सामाजिक विभाजन का आधार क्या है ?
उत्तर– समाजिक और क्षेत्रीय
प्रश्न 14. संविधान के अनुच्छेद 15 और 19 में मुख्य बाते क्या है ?
उतर– संविधान के अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, वंश, जाती या जन्म स्थान के आधार पर नागरिको के कोई भेद भाव नहीं किया जायेगा और अनुच्छेद 19 में सभी नागरिको के स्वतंत्रता का मूल अधिकार दिया गया है .
प्रश्न 15. आयरलैंड में सामाजिक विभाजन का आधार क्या था ?
उत्तर– धार्मिक
>>[Class-10th Hindi Lesson 1] भीमराव अंमबेदकर | श्रम विभाजन और जाती प्रथा
>>[Class-10th Hindi Lesson 2] |नलिन विलोचन शर्मा | विष के दांत
प्रश्न 16. समप्रायिदिका क्या है ?
उत्तर– किसी धर्म विशेष के लोग जब अपने धर्म को अन्य धर्म के तुलना में श्रेष्ठ समझने लगते है तब यह भावना समप्रायिदिका कहलाती है.
प्रश्न 17. बिहार की राजनीति में 1967 में किस जाति का वर्चस्व रहा ?
उत्तर– सवर्ण
प्रश्न 18. 70 – 90 के दशको में बिहार की राजनीति में किस जाति का वर्चस्व रहा ?
उत्तर– सवर्ण और पिछड़ी जाति का
प्रश्न 19. बिहार की राजधानी में 1990 के बाद किस जाति का वर्चस्व है ?
उत्तर– पिछड़ी जाति और दलितों की
प्रश्न 20. विश्व के किस देश में महिलाओ को मत देने का अधिकार मिला ?
उत्तर- इंग्लैंड 1918 में
Bihar Board Class 10 Civics chapter 1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी subjective solution Notes, class 10th civics
किताब का प्रश्न (प्रश्नावली):-
प्रश्न 1. हर समाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती . कैसे ?
उत्तर– किसी क्षेत्र विशेष में विभिन्न जाती, धर्मावलंबी, भाषाई, संस्कृति, वर्ण आदि प्रकार के लोग रहते है . यह समाजिक विभिन्नता है . इसका सबसे सुन्दर उदाहरण भारत है जहाँ प्रायः प्रत्येक क्षेत्र में यह विभिन्नत देखने को मिलता है . परन्तु जब सवर्ण और दलित, आमिर और गरीब, श्वेत और अश्वेत , आदि के बीच परस्पर भेद भाव की स्थिति बन जाए तब यह समाजिक विभाजन का रूप ले लेती है . परन्तु यह प्रत्येक परिस्थिति में इसका होना आवश्यक नहीं है .
आज मुंबई में वहाँ के स्थानीय निवासी मराठियों के अतिरिक्त अन्य लोग भी बाहर से जीविको पार्जन के लिए आए है जिनमे समाजिक विभिन्नता है परन्तु उनके हिट परस्पर समान है . वे सभी अपनी व्यवस्था और पेशा में संलग्न है . ये सभी मराठियों के हिंसा के शिकार हुए . वे सभी प्रायः उत्तर भारतीय है . इन लोगो के बीच सामाजिक भिन्नता के बावजूद सामाजिक विभाजन देखने को नहीं मिलता है . इससे स्पष्ट हो जाता है की हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती .
>>प्रथम विश्वयुद्ध से जुडी महत्वपूर्ण तथ्य
>>जर्मनी का एकीकरण से जुडी तथ्य
प्रश्न 2. सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेती हैं ?
उत्तर– हमारे देश में अमीर-गरीब, श्वेत-अश्वेत, सवर्ण-दलित आदि प्रकार के लोग है अर्थात सामाजिक विभिन्नता है इनमे दलित आमतौर पर सम्पूर्ण देश में सवर्णों की तुलना में गरीब वंचित एवं बेघर होने के साथ-साथ भेद-भाव के शिकार है . ऐसी स्थिति में ये दूसरे समुदाय के महसूस करते है जिससे समाजिक विभिन्नता समाजिक विभाजन में बदल गई . इस प्रकार हम कह सकते है कि जब समाजिक अंतर में परस्पर अलगाव, हीनता आदि का बोध होने लगता है तब वह सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है.
प्रश्न 3. ‘सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणामस्वरूप ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है’ . भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में इसे स्पष्ट करें .
उत्तर– भारत विभिन्नताओ का देश कहा जाता है, यह सत्य भी है. परन्तु यह भी सत्य है कि यहाँ सामाजिक विभिन्नता के साथ-साथ सामाजिक विभाजन भी है स्पष्ट है की इससे लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता होगा .
सामाजिक विभाजन की स्थिति में यदि हर वर्ग को साथ नहीं लिया जाए और उनके उत्त्थान का प्रयास नहीं किया जाए तो व्यापक जन असंतोष फैलने की स्थिति में गृह-युद्ध की नौबत आ सकती है और देश खंडित हो सकता है . अतः सामाजिक विभाजन को अग्र बनाने से रोकने के लिए समाजिक न्याय को स्थापित करने के लिए और सत्ता में साझीदार बनाने के लिए ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन है जो अन्य के लिए प्रेरणादायक भी है, तभी तो हम इतनी विभिन्नता में भी एक है और एकता तथा अखंडता का प्रतीक है .
प्रश्न 4. सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर (सामाजिक न्याय के संदर्भ में) का संक्षिप्त वर्णन करें.
उत्तर– सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच लोकतंत्र बदलाव के लिए याद किया जाना चाहिए . सतर के दशक के पहले भारतीय लोकतंत्र की पूरी प्रणाली में एक प्रकार से हर क्षेत्र में सवर्णों और अमीरों का ही वर्चस्व था . पिछड़े और दलित कोसो दूर थे . परंतु सतर के दशक से इनमे राजनीतिक चेतना और जागृति आई और ये अपने को उपेक्षित महसूस कर सत्ता-साझेदारी में संघर्ष शुरू कर दिये . संघर्ष भी रंग लाना शुरू किया धीरे-धीरे ये सत्ता के शिखर के रास्ते पर चल पड़े . अन्य वर्गों के लिए भी इनकी उपेक्षा अब आसान नहीं रहा . सत्ता के गलियारों में इनकी तूती बोलने लगी . नब्बे के दशक तक ये अपनी गहरी पैठ बना लिए और ये सामाजिक न्याय प्राप्त करके रहे .
इस प्रकार देखा जाए तो सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र सवर्ण बनाम पिछड़े और दलित के बीच सफर करता रहा . जरुरत है इन सबको सम्मानित करने और समाजिक मुख्य धारा से औरों को भी जोड़ने की भी एकता और अखंडता सबकी सर्वोपरि हित होगी .
प्रश्न 5. सामाजिक विभाजनो के राजनीति का परिणाम किन-किन चीजो पर निर्भर करता है ?
उत्तर– सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम निम्नलिखित तीन कारको पर निर्भर करता है :-
- बहु स्तरीय पहचान को राष्ट्रिय पहचान का रूप देना जैसे की बिहार की बिहारियों का ना समझ पाना
- संविधान के दायरे में किसी समुदाय या क्षेत्र विशेष की मांगो का उठाना जिससे कि अन्य समुदाय को न नुकसान पहुँचे और न देश की एकता और अखंडता बाधित हो .
- भारतीय समाज में समरसता और सामंजस्य के दृष्टिकोण से मांगो को सरकार द्वारा मानना
प्रश्न 10. भावी समाज में लोकतंत्र का जिम्मेवारी और उदेश्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें.
उत्तर– भावी समाज भी सामाजिक विभिन्नताओ और सामाजिक विभाजनो से अछुता नहीं रहेगा . अतः ऐसी स्थिति में लोकतंत्र की जिम्मेवारी बढ़ना कोई आश्चर्य की बात नहीं . इसलिए लोकतंत्र की जिम्मेवारी और उदेश्य ऐसा होना चाहिए की शासन में लोकप्रतिनिधि लोगो के हित तथा उनकी इच्छा को सर्वोपरि महत्व देंगे . सामाजिक विभिन्नताओ, अंतरों और असमानताओ के बीच सामंजस्य बैठाकर सर्वमान्य समाधान निकालने की कोशिश करेंगे तभी भावी समाज असंतुलन से बचा रहेगा और देश का सर्वागीण विकास होगा.
प्रश्न 11. भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी है ? स्पष्ट करें .
उत्तर– निस्संदेह भारत में बौदिक कल में जन्मी वर्ण व्यवस्था ही आज की जाति प्रथा की मूल थी . वर्ण व्यवस्था के बाद पेशा पीढ़ी दर-पीढ़ी वंशानुगत होता गया अर्थात श्रम विभाजन हुआ. श्रम विभाजन ही अतिवादी रूप लेकर जाति में बदल गया नतीजा यह हुआ कि इनमे उत्पन्न असमानताओ ने अलग-अलग समुदाय का पहचान दिया . इनके रहन-सहन, खान-पान आदि भिन्न हो गये थे अब ये अलग-अलग जाति के नाम से जाने-जाने लगे . शादी विवाह भी अपने समुदाय में करने लगे . इनमे समाजिक और आर्थिक असमनता ने देश में भयावह समाजिक विभाजन को जन्म दिया .
>>Bihar Board Class 10 History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद subjective solution Notes
>>NCERT Class 10 History Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद subjective solution Notes
प्रश्न 12. भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी है ? स्पष्ट करें .
उत्तर– भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी है इसके दो कारण है :-
- निर्वाचन के वक्त पार्टियाँ वोटरों के बीच साख बनाने हेतु अपना चेहरा स्वच्छ और जाति भावना से ऊपर बनाने की कोशिश करते हैं .
- दलित और नीची जातियों का भी महत्त्व निर्वाचन के वक्त बढ़ जाता है। उच्च वर्ग या जाति के उम्मीदवार भी नीची जातियों के सम्मुख नम्र भावना से जाते हैं और उनके मन हासिल करने हेतु अनुनय-विनय करते हैं । इन अवसरों पर नीची जातियों में भी आत्म गौरव जागृत होता है और स्वाभिमान जगता है। अर्थात् इन जातियों में राजनैतिक चेतना के सुअवसर प्राप्त होते हैं.
प्रश्न 13. विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्योरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण दें .
उत्तर– धर्म से समुदाय निर्माण की अवधारणा सांप्रदायिकता है और इसे सत्ता की सीढी मानकर राजनीति करना ही सांप्रदायिक राजनीति है . प्रायः इसके स्वरूप दिखाई देते है :-
- सम्प्रदायिक सोंच वाले यदि किसी क्षेत्र विशेष में बहुसंख्यक है तो वे प्रमुख राजनीति में रहने की हिमायती हो जाते है जैसे श्रीलंका में सिंहली सम्प्रदाय
- धर्म के पवित्र प्रतिको द्वारा या धर्मगुरुओ द्वारा स्वधर्म लोगो से किसी विशेष पक्ष में मतदान करने की अपील भी साम्प्रदायिक राजनीति है जैसे स्वयं भारत में भी देखा गया है की कभी-कभी धर्म गुरु, चाहे वे किसी धर्म के क्यों न हों, किसी विशेष दल के पक्ष में मतदान करने की भावनात्मक अपील किए है .
- सम्प्रदाय के आधार यदि किसी क्षेत्र विशेष में दंगा-फसाद होता है तब राजनेता बहुसंख्यक धर्मावलम्बी का पक्ष लेकर उसे वोट बैंक बनाने की फ़िराक में रहते है .
प्रश्न 14. जीवन के विभिन्न पहलुओ का जिक्र करें जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में है .
उत्तर– भारत की आधी आबादी अर्थात महिलाएँ अगर सार्वजानिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रो में पुरुषो की तुलना में बहुत-बहुत पीछे है तो वे निश्चित ही आज के आधुनिक समाज की बिडम्बना ही कही जाएगी . इसे समाज की ओछी मानसिकता का परिचायक माना जा सकता है जबकि आज स्त्रियों ने हर क्षेत्रो में उपयोगिता सिद्ध की हुई है . यह भेदभाव निम्न तथ्यों से और स्पष्ट हो जाता है :-
- महिलाओ में साक्षरता दर 54% है जबकि पुरुषो में 76% है . यह स्त्रियों को शिक्षा दी जाने के प्रति उदासीनता है .
- उच्च शिक्षा प्राप्त महिलायें अपेक्षाकृत बहुत कम है .
- ऊँची तनख्वाह वाले और ऊँचे पदों पर बहु कम स्त्रियों विराजमान है जबकि इनकी योग्यता और क्षमता है
- आज भी माता-पिता जीवन के हर क्षेत्र में बेटी की तुलना में बेटा पर ही ज्यादा ध्यान देते है.
- औरतो को घर के काम-काज करने पड़ते है . चूँकि इससे आमदनी नहीं मिलती इसलिए इसे काम नहीं समझा जाता.
- माँ-बाप का लड़के की भी चाह भेद-भाव की एक कड़ी हीं है .
- राजनीति, विधायिका आदि में भी इनकी संख्या बहुत-बहुत कम है .
>>Bell Bottom movie download 2021
>>इन्टरनेट का मालिक कौन हैं? और ये कैसे कम करता हैं ?
प्रश्न 15. भारत की विधायिकाओ में महिलाओ के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
उत्तर– भारत के संसद के लोकसभा में 59 महिलाएँ चुनाव जीतकर आयी जो 10% के आस-पास है . राज्य विधायिका में भी ये 10% से बहुत निचे है . आज बिहार में ग्राम पंचायत में इनके लिए 50% सिटे आरक्षित कर दी गयी है . फिर भी आधी आबादी को इतनी कम स्थाने राजनीति में इनके पिछड़ेपन का सूचक है . जरुरत है विधायिकाओ में इन्हें आरक्षण देकर प्रतिनिधित्व बढ़ाने का.
प्रश्न 16. किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनता है?
उत्तर– हमारे संविधान के अनुसार धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक है . कोई नागरिक अपने विश्वास से कोई धर्म अंगीकार कर सकता है . ये दोनों तथ्य भारत को धर्म निरपेक्ष देश बनाता है.
इसमें हमने जाना लोकतांत्रिक राजनीति भाग-2 किताब अध्याय -1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी के बारे में आशा करता हूँ की आपको ये जानकारी अच्छा लगा होगा . लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी प्रश्न उत्तर, सत्ता की साझेदारी class 10 notes, सत्ता की साझेदारी नोट्स, bihar board class 10th civics chapter 1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी का प्रश्न उत्तर, Satta Ki Sajhedari, Locktantra me satta ki sajhedari, class 10th civics, class 10th civics, class 10th civics, class 10th civics
9 thoughts on “NCERT Class 10 Civics(नागरिकशास्त्र) | पाठ- 1 | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी | solution Notes”