इसमें हम जानेगे Class 10th Sanskrit मन्दाकिनी वर्णनम् | पाठ-10 | NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 10 Solution Notes, बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 10 मन्दाकिनी वर्णनम् प्रश्न उत्तर, 10th class sanskrit chapter 10 question answer, 10th class sanskrit vvi question answer, class 10 sanskrit chapter 10 mandakini varnam, mandakini barnam, mandakini varnam question answer, Mandakini Varnanam Class 10th Sanskrit
Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 10 मन्दाकिनी वर्णनम् Solution Notes
कक्षा- 10 संस्कृत | पाठ-10 मन्दाकिनी वर्णनम् | Subjective solution
1. मन्दाकिनी की शोभा का वर्णन किस रूप में किया गया है ?
Or
चित्रकूट की गंगा की शोभा का वर्णन अपने शब्दों में करें।
Or
‘मन्दाकिनी’ का वर्णन अपने शब्दों में करें।
Or
मन्दाकिनी वर्णनम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
Or
मन्दाकिनी नदी का वर्णन अपने शब्दों में करें। अथवा, अति संक्षेप में मंदाकिनी नदी का वर्णन करें।
उत्तर– वनवास काल में जब राम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते हैं तब चित्रकूट के निकट बहने वाली मान्दाकिनी नामक छोटी नदी की प्राकृतिक सुषमा से प्रभावित हो जाते हैं। राम सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक सम्पदाओं से घिरी होने के कारण मन को आकर्षित करती है। रंग-बिरंगी छटा वाली यह हंसों द्वारा सुशोभित है। इसके निर्मल जल में ऋषीगण स्नान करते हैं एवं सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
2. मंदाकिनीवर्णनम् से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर– मंदाकिनीवर्णनम् वाल्मिकी रामायण के अयोध्या काण्ड के 95 सर्ग से संकलित है। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकृति हमारे मन को आकर्षित कर लेती है इसलिए प्रकृति की सुरक्षा के लिए हमें विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
3. मनुष्य को प्रकृति से क्यों लगाव रखना चाहिए?
उत्तर- प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, इसलिए प्रकृति को शुद्ध होना चाहिए। यहाँ महर्षि वाल्मीकि प्रकृति के यथार्थ रूप का वर्णन करके मनुष्य को प्रकृति से लगाव रखने का संदेश देते हैं। इससे हमारा जीवन सुखमय एवं आनंदमय होता है।
4. पर्वत नाचता हुआ क्यों प्रतीत हो रहा है?
उत्तर– महर्षि वाल्मीकि कहते हैं कि जब नदी के दोनों ओर फूल एवं पत्तों से युक्त पौधे एवं हवा के झोकों से मानों चलायमान शिखर होता है तब पर्वत नाचता हुआ प्रतीत होता है।
5. ‘ज्ञानं भारः क्रियां बिना’ का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर– ‘ज्ञानं भारः क्रियां बिना’ का अर्थ यह है कि व्यवहार के बिना ज्ञान भार स्वरूप है, इसलिए ज्ञान जीवन में अनिवार्य है।
इस पोस्ट में हमने जाना Class 10th Sanskrit मन्दाकिनी वर्णनम् | पाठ-10 | NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 10 Solution Notes के बारे में,
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