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Bihar Board Class 10 History Lesson-3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन(इतिहास) Subjective Solution Notes Pdf
लघु उत्तरीय प्रश्न:- हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन (इतिहास)
प्रश्न 1. हिन्द-चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें .
Answer– हिन्द-चीन देशो में प्रभुत्व के लिए फ़्रांस का प्रयास 1774 ई. से शुरू हुआ. 1787 ई. में कोचीन-चीन के साथ संधि ने फ़्रांस के प्रभुत्व का मार्ग प्रशस्त किया. in देशों में फ्रांसीसी पादरियों की गतिविधियाँ जारी रही परन्तु 1862 ई. में अन्नाम को सैन्य बल द्वारा, 1863 ई. में कम्बोडिया को अपने संरक्षण में लेकर और 1783ई. में तोकिन में सेना के साथ प्रवेश कर फ़्रांस ने हिन्द-चीन में अपने राजनीतिक प्रभाव का बिगुल बजा दिया.
प्रश्न 2. रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेंज का वर्णन करे.
Answer- वियतनाम में प्रयोग किया जाने वाला नापाम एक कार्बनिक यौगिक था जो गैसोलीन के साथ मिलकर ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से चिपककर जलता रहता था. दूसरी ओर एजेंट-ऑरेंज एक ऐसा जहर था. जो पेड़ और उसकी पतियों को झुलसा कर ख़तम कर देता था. ऑरेंज पट्टीयो में रखे जाने के कारण ही इसका नाम ओरनगे बम या एजेंट-ऑरेंज पड़ा.
प्रश्न 3. हो-चीन-मिन्ह के विषय में संक्षिप्त में लिखें.
Answer- हो-ची-मिन्ह वियतनामी स्वतंत्रता आन्दोलन के नेता थे. फ्रांसीसी शासन के विरुद्ध इनके नेतृत्व में साम्यवादियो ने वियतनाम स्वतंत्रता लीग अर्थात वियतमिन्ह की स्थापना हुयी, इन्होने लम्बा संधर्ष कर 1945 ई. में वियतनाम को गणराज्य घोषित कर स्यंम राष्ट्रपति बने. परंतु 1946 ई. में फ़्रांस ने वियतनाम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर बयोदाई के नेतृत्व में वहाँ कठपुतली सरकार बैठा दी.
परन्तु हो-ची-मिन्ह ने लम्बी अवधि तक युद्ध कर फ़्रांस को जेनेवा समझौते के लिए मजबूर किया जिसके अनुसार उत्तरी वियतनाम में ही-ची-मिन्ह के नेतृत्व में साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई. इनके ही नाम पर आज एकीकृत वियतनाम की राजधानी सैगोन के स्थापना पर हो-ची-मिन्ह है.
प्रश्न 4. हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है, बतावें .
Answer- कच्ची-पक्की वे सड़के जो हनोई से चलकर लाओस, कम्बोडिया के सीमाक्षेत्र से गुजरता हुआ दक्षिणी वियतनाम तक जाता था, हो-ची-मिन्ह मार्ग से जाना जाता था. यह ऐतिहासिक इसलिए है क्योकि अमेरिका ने क्रांतिकारियों के हौसले पस्त करने के लिए सैकड़ो बार क्षतिग्रस्त किया और वियतनामियो ने तुरत मरम्मत कर अमेरिकियो को ठेंगा भी दिखाया.
प्रश्न 5. अमेरिका हिन्द-चीन में कैसे घुसा, चर्चा करे .
Answer- वस्तुतः हिन्द-चीन में फ़्रांस का प्रभुत्व था . परन्तु द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान फ़्रांस की पकड़ थोड़ी ढीली पद गयी जिसके समर्थन के बहाने अमेरिका हिन्द-चीन में घुसकर साम्यवादियों के खिलाफ हस्तक्षेप शुरू किया. जेनेवा समझौते (1954ई.) ने वियतनाम को दो फाँक कर दी. दक्षणि वियतनाम ने अमेरिका ने अपनी पसंद की कठपुतली सरकार नयो-दिन्ह-दियम के नेतृत्व में बैठकर अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया.
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:- हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन (इतिहास)
प्रश्न 1. हिन्द-चीन उपनिवेस स्थापना का उदेश्य क्या था ?
Answer- वस्तुतः हिन्द-चीन पर फ्रांसीसी आधिपत्य दूरगामी थे. जिनके निम्नलिखित उदेश्य थे-
- डच एवं व्रिटिश कंपनियों के व्यपारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना
- भारत में हो रहे अपनी कमजोर स्थिति में उबरना
- सुरक्षात्मक रूप से एसी जगह का तलाश करना जहाँ से वे भारत तथा चीन दोनों को संभाल सके.
- उधोगो के लिए कच्चे माल की जरुरतो को पूरा करने के लिए उपनिवेश बनाना.
- कारखानों में उत्पादित माल को बेचने के लिए बाजार को तलाशना
- पिछले समाज को सभ्य बनाना.
प्रश्न 2. माई ली गाँव की घटना क्या थी ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
Answer- दक्षिणी वियतनाम में के गांव था जहाँ के लोगो को वियतकांग समर्थक मान अमेरिका सेना ने पुरे गाँव को घेर कर पुरुषो को मार डाला, औरतो-बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया, फिर उन्हें भी मार कर पुरे गाँव में आग लगा दिया. लाशो के बिच दबा एक बुढा जिन्दा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया.
माई-ली-गाँव की घटना ने अमेरिका की पोल खोल दिया.इस घटना ने पुरे विश्व को झकझोर दिया. हॉलीवुड में अब अमेरिका अत्याचारपर फिल्मे बन्ने लगी. वियतनामियो को नैतिक समर्थक मिलने लगा. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन दो बार शांति कार्यक्रम की घोषणा करनी पड़ी. परन्तु वियतनामियों द्वारा ख़ारिज करने के बाद फिर अमेरिका बर्बरता का परिचय दिया . भयंकर युद्ध हुआ. परन्तु वियतनामी झुके नहीं अंततः अमेरिका को ही झुकना पड़ा और वे सर निचे किए अपने वतन लौट गए.
प्रश्न 3. राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पांच सूत्री योजना क्या थी ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
Answer- राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पांच सूत्री योजन की घोषणा की –
- हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथा स्थान पर रहे.
- युद्ध विराम की देख-रेख अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे.
- इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा.
- युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी.
- युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अंत होगा.
परन्तु इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया. अमेरिकी सेनाएँ पुनः बमबारी शुरू कर दी. लेकिन अमेरिका अब जान चुका था कि उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी ही पड़ेगी. निक्सन ने पुनः आठ सूत्री योजना रखी वियतनामियों ने इसे खारिज कर दिया.
अब अमेरिका चीन को अपने पक्ष में करने में लग गया. 24 अक्टूबर 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका एवं दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया, परन्तु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए आग्रह किया. वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया. इस बार इतने बम गिराए गए जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा आंकी गयी.
हनोई भी इस बमवारी से ध्वस्त हो गया, लेकिन वियतनामी डटे रहे। अंतत: 27 फरवरी 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध के समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया, समझौते की मुख्य बातें थीं युद्ध समाप्ति के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी, उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाह कर के एकीकरण का मार्ग खोजेंगे, अमेरिका वियतनाम को असीमित आर्थिक सहायता देगा
इस तरह से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं अप्रैल, 1975 में उत्तरी एवं दक्षिणी वियतनाम का एकीकरण हो गया.
प्रश्न 4. फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये गये साकारात्मक कार्यो की समीक्षा करें.
Answer- फ्रांसीसियों ने प्रारंभिक शोषण व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से शुरू किया था। उसके बाद उन्होंने भीतरी ग्रामीण इलाकों में किसानों का शोषण करना शुरू किया. तोकिन के जीवन का आधार लाल घाटी थी जबकि कम्बोडिया का मेकांग नदी का मैदानी क्षेत्र एवं कोचीन-चीन का मेकांग का डेल्टा क्षेत्र. चीन से सटे राज्यों में खनिज संसाधन कोयला, टीन, जस्ता, टंगस्टन,. क्रोमियम आदि मिलते थे, पहाड़ी इलाकों में रबर की खेती होती थी और मैदानी क्षेत्र में धान की.
सर्वप्रथम फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जल निकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जाने लगा. इन प्रयासों का ही फल था कि 1931 ई. तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया. रबर बगानों, फार्मों, खानों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था. जमींदारी अपने विकृत रूप में आ चुकी थी.
हालांकि इसी दौरान पूरे उत्तर से दक्षिण हिन्द-चीन तक संरचनात्मक विकास तीव्र गति पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क एवं सड़क का जाल सा बिछ गया। परन्तु किसानों एवं मजदूरों का जीवन स्तर गिरता जा रहा था, क्योंकि सारी व्यवस्था ही शोषण-मूलक थी.जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी.
प्रश्न 5. हिन्द-चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें.
Answer- शोषण और अत्यचार का पहला परिणाम शोषितों में राष्ट्रिय भावना के विकास को जन्म देता है. हिन्द-चीन में भी यही हुआ. फ्रांसीसी शोह ने हिन्द-चीन में अनेक क्रन्तिकारी संगठनों जैसे ‘दुई टन होई‘ आदि को जन्म दिया . लेखको की लेखनी भी करामात दिखाने लगी . अत्यंत छोटे देश जापान द्वारा शक्तिशाली और बड़ा देश रूस की पराजय ने तो जैसे हिन्द-चीन वासियों के रोम-रोम में राष्ट्रीयता की लहर दौड़ा दी विदेशी विचारको जैसे रूसो, मान्टेस्क्यू आदि के विचार इन्हें प्रेरित करने लगे. विदेश गये छात्रो ने भी राष्ट्रीयता के प्रसार में गजब की भुमिक निभाई .
फ़्रांस द्वारा भारती किये गये हजारो हिन्द-चीन फौजियों ने प्रथम विश्व युद्ध में मरने से इन लोगो में आक्रोश व्याप्त हुआ. समय-समय पर इनकी भावनाओ और आन्दोलन को दबाने का भरसक प्रयास किया गया. परन्तु ये दिनानुदिन तब तक बढ़ते रहे जब तक की पूरा हिन्द-चीन क्षेत्र इनसे मुक्त नहीं हो गया.
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