current affairs- Koppal Toy Cluster- कोप्पल टॉय क्लस्टर पहला खिलौना निर्माण क्लस्टर है। इसे मार्च 2022 से संचालित करना है।
कोप्पल टॉय क्लस्टर के बारे में (About Koppal Toy Cluster)
इसे 400 एकड़ जमीन में स्थापित किया जाना है। यह खिलौना बनाने की क्षमताओं की पूरी श्रृंखला को धारण करेगा। इसमें खिलौना बनाना, उपकरण बनाना, पैकेजिंग का उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स विकसित करना, पेंट बनाना और अन्य सभी सामान शामिल हैं। पूरा होने के बाद, टॉय क्लस्टर में विशेष आर्थिक क्षेत्र में 100 छोटी और बड़ी निर्माण इकाइयां होंगी। इसमें घरेलू विनिर्माण और निर्यात के लिए इकाइयां भी शामिल हैं।
परिणामों (Outcomes)
क्लस्टर में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना है। इससे 25,000 प्रत्यक्ष रोजगार और एक लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। महिलाओं की अधिक भागीदारी की उम्मीद है।
क्लस्टर का विभाजन (Segmentation of the cluster)
क्लस्टर विभिन्न प्रकार के खिलौनों का निर्माण करना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, आलीशान खिलौने, प्री-स्कूल खिलौने, आउटडोर खिलौने, शिशु खिलौने, गुड़िया, शैक्षिक खिलौने शामिल हैं। रिमोट से नियंत्रित कारों, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों और राइड-ऑन खिलौनों जैसे खिलौनों के बड़े बाजार हैं।
महत्व (Significance)
भारत का खिलौना उद्योग अत्यधिक खंडित है। भारत में 4,000 से अधिक खिलौना निर्माण इकाइयाँ काम कर रही हैं। हालांकि, इनमें से केवल 10% खाते ही संगठित क्षेत्र के हैं। इसलिए, इस तरह के और अधिक खिलौनों के समूह बनाना आवश्यक है।
एक्स इंफ्रा की भूमिका (Role of Aques Infra)
कोप्पल टॉय क्लस्टर ऐकस इंफ्रा की एक पहल है। यह मुख्य रूप से तीन स्थानों पर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है। वे कोप्पल (लाइट इंजीनियरिंग गुड्स एंड टॉय मैन्युफैक्चरिंग), बेलागवी (एयरोस्पेस सेक्टर और प्रिसिजन इंजीनियरिंग) और हुबली (उपभोक्ता सामान और उपकरण) हैं।
पृष्ठभूमि (Background)
फरवरी 2021 में, भारत सरकार ने 2,300 करोड़ रुपये की लागत से आठ खिलौना निर्माण समूहों को मंजूरी दी। इनमें से तीन मध्य प्रदेश में, एक-एक उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में और दो राजस्थान में स्थापित किए जाने हैं।
भारतीय टॉय स्टोरी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का हिस्सा (Part of National Action Plan for Indian Toy Story)
इस योजना के तहत क्लस्टर शुरू किए जाने हैं। इसका मकसद आयात पर निर्भरता कम करना है। 2020 में भारत का खिलौना आयात 1.5 बिलियन अमरीकी डालर था। इनमें से 90% चीन और ताइवान से थे। योजना का लक्ष्य देश में 35 टॉय क्लस्टर स्थापित करना है।