नागरी लिपि SUBJECTIVE नागरी लिपि , नागरी लिपि के क्वेश्चन आंसर, नागरी लिपि का लेखक कौन है , Hindi Godhuli bhag 5 Subjective Question Answer In Hindi.nagri lipi objective question
नागरी लिपि का लेखक कौन है ?
उत्तर:- नागरी लिपि के लेखक गुणाकर मुले है .गुणाकर मुले का जन्म 1935 ई. में महराष्ट्र के अमरावती जिले के एक गाँव में हुआ.
1:- देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आयी है ?
उत्तर:- लगभग 18 वी सदी में जब देवनागरी लिपि के टाइप बनने शुरू हुए तथा पुस्तकें छपने लगी तब जाकर इस लिपि के अक्षरों में स्थिरता आई .
2:- देवनागरी लिपि में कौन-कौन सी भाषाएँ लिखी जाती है ?
उत्तर:- देवनागरी लिपि में अपने देश की अनेक भाषाएँ तो लिखी ही जाती है साथ-ही-साथ कुछ विदेशी भाषाएँ भी लिखी जाती है . जैसे:- हिन्दी तथा इसकी विविध बोलियां, नेपाल की नेपाली या खसकुरा और नेवारी भाषा, मराठी, प्राकृत भाषा, गुजरती, बंगला, तमिल, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़ आदि.
3:- लेखक ने किन भारतीय लिपियों से देवनागरी का संबंध बताया है ?
उत्तर:- लेखक गुणाकर मुले ने देवनागरी का संबंध गुजराती, बंगला, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम लिपियों से बताया है.
4:- नंदी नागरी किसे कहते है ? किस प्रसंग में लेखक ने उसका उल्लेख किया है ?
उत्तर:- दक्षिण भारत में लिखी जाने वाली देवनागरी लिपि को ही नंदी नागरी कहा जाता है. इससे पोथियाँ लिखी जाती थी . यह कोकण, राष्ट्रकूट, देवगिरी, विजयनगर आदि क्षेत्रो में प्रायः लिखी जाती थी .
>>पाठ -6 बहादुर
5:- नागरी लिपि के आरंभिक लेख कहा प्राप्त हुए हैं ? उनके विवरण दे .
उत्तर:- दक्षिण भारत नागरी लिपि के आरंभिक लेख का स्रोत है . चोल राजाओ – राजाराम और राजेंद्र के सिक्को पर नागरी अक्षर मिलता है . राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग ने भी नागरी अक्षर का प्रयोग किया था . इसके अतिरिक्त केरल शासको, श्रीलंका के पराक्रमबाहू, विजयबाहू आदि शासको के सिक्को पर भी नागरी अक्षर मिलते है.
6:- ब्राहमी और सिद्धम लिपि की तुलना में नागरी लिपि की मुख्य पहचान क्या है ?
उत्तर:-ब्राहमी लिपि का विकास गुप्त कल में हुआ था . इसके बाद सिद्धम लिपि का विकास हुआ था . in दोनों लिपियों की तुलना जब हम नागरी लिपि से करते है तो पते है की ब्रा हमी तथा सिद्धम लिपियों के अक्षरों के सिरे पर छोटी आड़ी लकीरे या छोटे ठोस त्रिकोण है तो दूसरी ओर नागरी लिपि के अक्षरों के सिरों पर उतनी ही लम्बी रेखाएँ है जितनी अक्षरों की चौड़ाई है .
7:- उत्तर भारत में किन शासकों के प्राचीन नागरी लेख प्राप्त होते है ?
उत्तर:- उत्तर भारत में इस्लामी शासन की नीव डालने वाले महमूद गजनवी के सिक्कों पर नागरी अक्षर है इसके अतिरिक्त मेवाड़ के गुहिल, सांभर-अजमेर के चौहान, कन्नौज के गहडवाल, गुजरात के सोलंकी, परमार, चंदेल, कलचुरी आदि के शासको के लेख भी नागरी लिपि में प्राप्त होते है.
8:- नागरी को देवनागरी क्यों कहते है ? लेखक इस संबंध में क्या बताता है ?
उत्तर:- नागरी को देवनागरी कहे जानेके प्रश्न पर विद्वानों में मतभेद है. अलग-अलग विद्वानों द्वारा निम्न तथ्य प्रस्तुत किए गये है :-
- गुप्त वंश के प्रसिद्ध शासक चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का व्यक्तिगत नाम देव था . इसलिए उनकी राजधानी पाटलिपुत्र को देवनगर कहा गया और देवनगर की लिपि होने के कारण देवनागरी कहा गया .
- एक मत के अनुसार गुजरात के नगर ब्राह्मणों द्वारा सर्वप्रथम प्रयोग करने के कारण देवनागरी कहा गया .
- कशी को देवनगरी कहा जाता था . यहाँ प्रयुक्त लिपि को देवनागरी कहा गया .
9:- नागरी लिपि उत्पति के संबंध में लेखक का क्या कहना है ? पटना से नागरी का क्या संबंध लेखक ने बताया है ?
उत्तर:- लेखक के अनुसार नागरी शब्द किसी नगर से संबंध था . शायद वह नगर पाटलीपुत्र ही था . यह ‘पादताडितकम नामक नाटक से जानकारी होती है
> पाठ -1 श्रम विभाजन और जाती प्रथा
>पाठ – 2 विष के दांत
>पाठ -3 भारत से हम क्या सीखें
>पाठ 4- नाखून क्यों बढ़ते है
10:- नागरी लिपि कब एक सार्वदेशिक लिपि थी ?
उत्तर:- 8वीं और 9वीं सदी में नागरी लिपि एक सार्वदेशिक लिपि थी . क्योकि इन सदियों में यह किसी न किसी अक्षर में विधमान थी अर्थात पुरे देश में विभिन्न भाषाओ में अपना स्थान बनाए हुए थी .
11:- नागरी लिपि के साथ-साथ किसका जन्म होता है ? इस संबंध में लेखक का क्या जानकारी देता है ?
उत्तर:- नागरी लिपि के साथ दक्षिण भारत में तमिल, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़ लिपियों का विकास हुआ . ये लिपियाँ भी नागरी की तरह ही प्राचीन ब्राहमी lipi में ही विकसित हुई थी .
12:- गुर्जर प्रतिहार कौन थे ?
उत्तर:- गुर्जर प्रतिहार 8वीं सदी के पूर्वार्द्ध में बाहर से आकर अवंती प्रदेश में शासन स्थापित किए और बाद में कन्नौज पर भी अधिकार किए . इनके प्रमुख राजा मिहिर भोज , महेंद्र पाल , आदि थे .
13:- निबंध के आधार पर काल-क्रम से नागरी लेखो से सम्बंधित प्रमाण प्रस्तुत करे
उत्तर:- नागरी लिपि की प्राचीनतम लेख दक्षिण भारत से प्राप्त होते है धिरे-धीरे यह समृद्ध होती गयी . इसके विकास के कालक्रम है : 754 ई. में राजा दंतीदुर्ग का समांगड दानपत्र, 840 ई. में मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशासित, 850 ई. में गणितज्ञ महावीर चार्य द्वारा रचित गणित सार संग्रह, 1012 ई. में शासक केशिदेव का शिलालेख, 1060 ई. में ताम्रपट, आदि देवनागरी लिपि में है . ये प्रमाण बताते है की देवनागरी सार्वदेशिक लिपि बन चुकी थी . इसके अतिरिक्त अनेक भाषाओ और पुस्तको में भी देवनागरी लिपि कमोवेश मौजूद है . इस्लामी शासन भी इसके प्रयोग से अछूते नहीं रहे . उन्होंने भी अपनी सिक्कों और लेखो में प्रयोग किया .
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