class 10th Biology Chapter 2 नियंत्रण एवं समन्वय objective solution Notes

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Bihar Board Class 10 Biology (Science) chapter 2 नियंत्रण एवं समन्वय objective solution Notes pdf

नियंत्रण एवं समन्वय objective solution

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प्रश्न 1. तंत्रिका तंत्र क्या है?

उत्तर- जंतुओं के शरीर में एक भाग से अन्य भागों तक संकेतों का संचरण जिस तंत्र द्वारा होता है उसे तंत्रिका तंत्र पाता है।

प्रश्न 2.  तंत्रिका कोशिका सिया न्यूरॉन क्या है? इसकी संरचना पर प्रकाश डालें?

उत्तर– तंत्रिका जिन कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उससे तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन कहते हैं। इसकी संरचना निम्न है-

(a) सेन्ट्राँन :-

प्रत्येक न्यूरॉन में एक तारक काय कोशिका होती है इसे सेन्ट्राँन कहते हैं इसके भीतर कोशिका द्रव्य एवं एक बड़ा केंद्र होता है।

(b) द्रुमिका (Dendrites) :-

कोशिकाय से  महिन डोरी की भाती तंतु निकले होते हैं इन्हें द्वमिका कहते है। इनमें से अधिकांश तंतु महीन एवं छोटी छोटी होती है। इसे एक टीवी की एंटीना की तरह माना जा सकता है। एक कोशिकाएं में 200 द्रुमिकाएँ तक हो सकती है। ये अन्य कोशिकाओं द्वारा प्रेरित होती है।

(c) तंत्रिकाक्ष (Axon) :-

अधिकांश न्यूरॉन में एक लंबी एवं अपेक्षाकृत मोटी शखा होती है इसे तंत्रिकाक्ष कहते हैं। इसके द्वारा संदेशों या आवेशों का चालन कोशिकाकाय दूर होता है। तंत्रिकाक्ष पेशियों में जाकर समाप्त हो जाता है। ये अन्य कोशिकाओ को प्रेरित करते है।

(d) न्यूरीलेमा (Neurilema):- 

तंत्रिकाक्ष की बाहरी कोमल परत न्यूरीलेमा कहलाती है। इसमें माईलिन नामक चरबीदारपदार्थ होता है।

(e) रेनवियर की गाँठ (Knobof Renvier) :-

तंत्रिकाक्ष जगह-जगह संकुचित होते हैं। ऐसे स्थानों को रेनवियर या गाँठ कहते हैं।

(f) सूत्रयुग्म गाँठे (Synartic Knobs) :-

तंत्रिकाक्ष अपने अंतिम छोर पर स्वयं शाखित हो जाते हैं एवं प्रत्येक शाखा सूक्ष्म बटन जैसी रचना में समाप्त हो जाती है इसे सूत्रयुग्म की गांठ करते हैं।

प्रश्न 3. न्यूरॉन का नामांकित चित्र बनाओ ।

उत्तर

एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की तस्वीर , Neuron image
एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की तस्वीर , Neuron image

प्रश्न 4. तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर–  तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन तीन प्रकार के होते हैं:-

(i) संवेदी न्यूरॉन (Sensory Neuron) :- 

ये आवेगों को ग्राही भागो से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र फतवा मस्तिष्क किया मेरुरज्जु तक पहुंचाने के कार्य करती है।

(ii) प्रेरक न्यूरॉन (Motor Neuron) :- 

ये आवेगों को मस्तिष्क जा मेरुरज्जु से पेशियों तक पहुंचाती है।

(iii) अंतरा न्यूरॉन (Inter Neuron):- 

 यह प्रेरक न्यूरॉन का संबंध संवेदी न्यूरॉन से करते हैं।

प्रश्न 5.आवेग संचरण पथ को समझावे।

उत्तर- आवेग एक  निश्चित पथ से गुजरता है। सर्वप्रथम संवेदी न्यूरॉन संवेदी ग्राही अंगो से आवेशो को प्राप्त कर उनके विधुत संकेतो में परिवर्तित करते है। तब वे विधुत संकेत संवेदी न्यूरॉन के द्वारा मस्तिष्क या मेरुरज्जु में पहुंचा देते हैं। मस्तिष्क या मेरुरज्जु इन आवेशों को ग्रहण करके उचित निर्देश का आवेश निर्गत कराता है। मस्तिष्क से पुनः ये  आदेश प्रेरक न्यूरॉन द्वारा ग्रहण कर लीये जाते हैं। तथा पेशियों में अविवाही अंगो द्वारा पहुंचाए जाते हैं। पेशिया इन आवेशों के अनुसार कार्य करती है।

प्रश्न 6. आवेश संचार पथ को तीर द्वारा समझावें।

उत्तर- उदीपन ⟶ ग्राही अंग ⟶ संवेदी न्यूरॉन ⟶ मस्तिष्क या मेरुरज्जु ⟶ अंतरा न्यूरॉन ⟶ प्रेरक न्यूरॉन ⟶ अविवाही अंग

प्रश्न 7.केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर– केंद्रीय तंत्रिका तंत्र दो प्रकार के होते हैं-

(i) मस्तिष्क (Brain) :-

मस्तिष्क द्वारा उन्हीं आवेशों को ग्रहण किया जाता है जिनका अनुक्रिया के पहले विश्लेषण जरूरी होता है। जैसे  विचार करना, सोचना इत्यादि। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क में उचित सूचनाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है। विश्लेषण के बाद ही मस्तिष्क द्वारा उचित निर्देश यार आदेश निर्गत किए जाते हैं। 

(ii) मेरुरज्जु या रीढ़रज्जु :-

इसके द्वारा आवेशों को प्राप्त करने के बाद उन आदेशों को निर्गत किया जाता है जिनके विश्लेषण की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि तत्काल आदेशों की निर्गत किया जाता है।

प्रश्न 8.प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Axon) क्या है?

उत्तर– संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा प्राप्त आवेशों में कुछ आवेश ऐसे होते हैं जिनकी अनुक्रिया के लिए तत्काल आदेश की पेशियों की आवश्यकता होती है। ये आदेश मस्तिष्क के बजाएँ मेरुरज्जु द्वारा दिए जाते हैं। के अंतर्गत मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित अनैच्छिक क्रियाएँ शामिल होती है। जैसे- खाने की वस्तु को देखकर मुंह में पानी आना ।

प्रश्न 9. प्रतिवर्ती चाप किसे कहते हैं?

उत्तर– प्रतिवर्ती क्रिया में उदिपनो या संवेदनाओ को त्वचा या अन्य  ग्राही अंगों से संवेदना मार्ग द्वारा मेरुरज्जु में पहुंचा दिया जाता है। यहां से संवेदना प्राप्त कर उचित आदेश निर्गत किए जाते हैं। ये  आदेश प्रेरक मार्ग से होते हुए पुनः अविवाही अंगूर पहुंचा दिए जाते हैं। जहां मेरुरज्जु के आदेश के अनुसार कार्य होता है। आवेग संचरण के इस संपूर्ण निश्चित पथ को परिवर्ती चाप कहते हैं।

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प्रश्न 10.  मानव तंत्रिका तंत्र को कितने भागों में बांटा जाता है?

उत्तर– मानव तंत्रिका तंत्र के प्रमुख तीन भागों में बांटा जा सकता है-

(i) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र :- 

 इसके 2 अंग मस्तिष्क एवं मत मेरुरज्जु होते हैं।

(ii) परिधीय तंत्रिका तंत्र :- 

इसके अंतर्गत कपाल तंत्रिका एवं मेरु तंत्रिकाएं आती है। मस्तिष्क से निकलने वाले तंत्रिकाओं को कपाल तंत्रिका एवं मेरुरज्जु से निकलने वाली तंत्रिका को मेरु तंत्रिका कहते है।

(iii) स्वायत तंत्रिका :-

ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के बाहर एवं उसी के समांतर होता है। यह अंतरंग अंगो के कार्यों का नियंत्रण स्वतः एवं अनचाहे करता है। जैसे- पाचन ग्रंथियों से रहा, अनैच्छिक पेशियों की गति, ह्रदय गति, आंख की पुतली का सिकुड़ना एवं फैलना। 

प्रश्न 11. मस्तिष्क के महत्वपूर्ण कार्य लिखें।

उत्तर– मस्तिष्क सभी संवेदी अंगों से आवेशों को ग्रहण करता है। साथ ही उनका विश्लेषण कर आदेश निर्गत करता है। जो प्रेरक न्यूरॉन द्वारा अविवाहि अंगों को दे दिया जाता है। मस्तिष्क कभी-कभी एक साथ कई तरह के आवेग या संकेत पाकर कुशलतापूर्वक कार्यों का समन्वय करता है। मस्तिष्क रचनाओं का भंडार भी होता है । इसलिए इससे बुद्धि का केंद्र भी कहते हैं।

प्रश्न 12. मस्तिष्क की संरचना पर प्रकाश डालें।

उत्तर– मस्तिष्क समन्वय एवं नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसका औसतन भाग 1.5 kg होता है। इसके प्रमुख तीन भाग निम्न है;

(i)  अग्र मस्तिष्क :-

 इसमें प्रमस्तिष्क और डाइन सेलफोन सम्मिलित है। जिनमे प्रमस्तिष्क, श्रवण, स्पर्श, गंध, देखना, प्रेम बातचीत इत्यादि का नियंत्रण करता है। डाईएन से फलोनकम ताप दर्द एवं रोना आदि का नियंत्रण करता है। अग्र मस्तिष्क पुरे मस्तिष्क का ⅔ भाग है।

(ii) मध्य मस्तिष्क :-

यह संतुलन एवं आँख की पेशियों का नियंत्रण करता है।

(iii) पश्य मस्तिष्क :-

इसमें अनु मस्तिष्क एवं मेडुला आब्लगोटा होता है। जिसमे अनुमस्तिष्क समन्वय संतुलन, एच्छिक पेशियों के गति का नियंत्रण करता है। तथा मेडुला द्वारा स्यंदन,  रक्त चाप, श्वसन गति की दर, खासने, छिकने एवं पाचक रसो का स्राव का नियंत्रण होता है।

प्रश्न 13.पादप हार्मोन के नाम और उनके कार्य लिखें।

उत्तर– पादप हार्मोन निम्न है;

(i) ऑक्सीजन :-

 यह प्ररोही के अग्र भाग में संश्लेषित होता है। तथा कोशिकाओं की लंबाई सहायक होता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा है तब ऑक्सीजन विकसित होकर छाया वाले भाग में आ जाता है। प्ररोही की प्रकाश कि दूर वाली साइड में ऑक्सीजन का सांद्रण कोशिकाओं को लंबाई में वृद्धि करने के लिए उदिपित करता है। अतः पादप की ओर मुड़ता हुआ दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त बिसहिन फल उत्पादन में सहायक है। पतियों के झरने एवं फलों के गिरने पर भी इसका नियंत्रण होता है। यह खर पतवार नाशक भी साबित होता है।

(ii) जिब्वेरेलिन (Gibberelling) :-

यह ऑक्सीजन की तरह तने की वृद्धि में सहायक है। इसके अतिरिक्त यह बीज हीन फल के उत्पादन एवं बीजों के अंकुरण में भी सहायक है। इसके छिड़काव द्वारा बृहत प्रकार के फल एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है।

(iii) साईंटोकाईनिन (Cytokinnin) :-

यह कोशिका विभाजन हो प्रेरित करता है। इसलिए यह फॉलो एवं बीजों में अधिक सांद्रता में पाया जाता है। इस प्रकार यह वृद्धि में भी सहायक है।

(iv)एब्सिसिकअम्ल (Abscisic Acid) :-

यह वृद्धि का सुंदमन करता है। पत्तियों का मुरझाना भी इसी के प्रभाव से होता है। इसे ए.बी.ए. (ABA) हार्मोन कहते हैं।

(v) ट्राओमैटिन (Traumatin) :-

वे पौधे के जख्म वाले भाग पर उपस्थित होते हैं। साथ ही कोशिका विभाजन को प्रेरित कर जख्म को भरते हैं। 

(vi) कैलिन्स (Callins) :-

ये  प्रत्येक अंगों की वृद्धि एवं कार्यों का नियंत्रण रखते हैं।

(vii) फ्लोरिजेन्स (Florigens) :-

ये पति में बनते हैं। लेकिन फूलों के खिलने में मदद करते हैं। इसलिए इन्हें फूल खिलाने वाला हार्मोन कहते हैं।

मानव हार्मोन

प्रश्न 1. पियूष ग्रंथि (pituitary gland)

निम्नलिखित प्रकार के होते है:-

(i) वृद्धि हार्मोन (Somatropic Harmone) :-

शरीर के वृद्धि एवं   हड्डियों की वृद्धि का नियंत्रण पूजा करता है।  इसके अधिकता से भीमकायत्व एवं कमी से बौनापन होता है।

(ii) थाईरोटॉपिक हार्मोन (Thyrotropic Harmone) :-

यह थायराइड ग्रंथि को अंत स्रावीत करने के लिए प्रेरित करता है।

(iii) एडिनोकाँट्रिको टॉपिक :-

यह एड्रिल कटैक्सके स्राव को नियंत्रण करता है।

(iv) गोनैड़ो टॉपिक हार्मोन :-

यह जनन अंगो के कार्यो का नियंत्रण करता है। यह दो प्रकार के होते है:-

  1. फाँलिकल उतेजक हार्मोन :- यह वृषण की शुक्र जनन नलिकाओ में शुक्राणु जनन में सहायक करता है।
  2. ल्युटी जाईमिंग हार्मोन:- इससे पित पिण्ड का निर्माण होता है। यह जनन हार्मोन निकलने के लिए प्रेरित करता है।

(v) दुग्ध जनक हार्मोन (Lacto genic) :-

इससे स्तनों में दुग्ध स्राव होता है।

(vi) एंटीडाइयुरेटिक हार्मोन या पितरेसिन अथवा वेसोप्रेसिन :-

यह जल संतुलन एवं मूत्र की मात्रा का नियंत्रण रखता है।

प्रश्न 2. अवटू ग्रंथी (Thyroid Gland)

उत्तर– इससे थायरोक्सिन का स्राव होता है। इस में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। यह वृद्धि तथा उपापचय की गति का  नियंत्रण करता है। किसकी कमी से  क्रेटिनिज्म, मिक्सिडिम, घेघा, हाइपोथाइराडिज्म, होता है।इसकी अधिकता से टॉक्सिक, ग्वाइटर होता है।

प्रश्न 3. परावटु ग्रंथि (Parathyroid gland)

उत्तर– रक्त में कैल्शियम की कमी से यह हार्मोन निकलता है। रक्त में कैल्शियम अधिक होने से कैल्सीटोनिन हार्मोन निकलता है। 

प्रश्न 4. अधिवृक्क (Adrenal Gland)

  1. ग्लूकोज कार्टिक कवाईडस :- यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का निर्माण करता है।
  2.  मिनारलो कार्टिक कवाईडस :- यह वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण के पुनः अवशोषण एवं शरीर में जल संतुलन का नियंत्रण रखता है।
  3. लिंग हार्मोन (sex harmon) :- इसके द्वारा पेशियों हड्डीयो, बाहय  लिंगो एवं यौन आचरण का नियंत्रण होता है।

प्रश्न 5. अधिवृक्क मध्यांश (Adernal medula)

उत्तर


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