जीव जनन कैसे करते है Class 10th Biology Chapter 3 Subjective Solution Notes

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10th Class Science Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है objective solution

Bihar Board Class 10th Biology Chapter 3 जीव जनन कैसे करते है Subjective Solution Notes,

10th Class Science Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Subjective solution

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1.डी.एन.ए. (DNA) प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्व है?

 उत्तर– कोशिका के केंद्रक में गुणसूत्र होते हैं। इसमें अनुवांशिक गुणों के वाहक DNA होते हैं। इसमें प्रोटीन संश्लेषण हेतु सूचना होती है। अतः इसकी प्रतिकृति इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है ताकि अनुवांशिक लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चली जाए।

2. जीवो में विभिनता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु वशिष्ठ के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?

 उत्तर– यदि कोई समषिट अपने निकेत के अनुकूल है तथा उसमें कुछ उग्र परिवर्तन आते हैं तो ऐसी अवस्था में समषिट का समूल बिनाश संभव है। परंतु समषिट के जीवो में  विनता होगी तो अनेक जीवित रहने की संभावना है। इसी कारण जीवों में भिन्नता था स्पीशीज के लिए आवश्यक है।


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1. द्वीखंडन बहूखंडन से किस प्रकार भिन्न है?

 उत्तर– द्विखंडन  अलैंगिक जनन में जनक जीव विभाजित होकर दो नए जीव को जन्म देता है। तथा केंद्रक विभाजन के समय संपूर्ण शरीर बाहर से अंदर की तरफ चिपकने लगता है।

 दूसरी तरफ बहू खंडन विधि से नाभिक विभाजित होकर अनेक जीवो मे बंट जाता है। इसमें दो से अधिक जीव पैदा होते है।

2. बीजाणु तथा जनन से जीव किस प्रकार  लाभान्वित होता है?

 उत्तर– बीजाणु द्वारा जनन में नरलिंग या मादा लिंग की आवश्यकता नहीं होती। इनमें प्रकीर्णन हेतु माध्यम की भी आवश्यकता नहीं होती। इसके अंदर केंद्रक विभाजित होकर एक ही बार में अनेक जीवो की उत्पत्ति करते हैं।

3.क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुदभवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते?

 उत्तर– पुनरुदभवन द्वारा जटिल संरचना वाले जीवो में नई संतान की उत्पत्ति नहीं हो सकती क्योंकि इसमें पुनरुदभवन के लिए विशिष्ट कोशिकाएं नहीं होती। जिसमें कम प्रसारण से अनेक जीव बन सके।

4. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?

 उत्तर– कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों में अपेक्षाकृत शीघ्र पुष्प का फूलन फूलन होता है जो पौधे बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके होते हैं उन्हें ही कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाया जा सकता है। उत्पन्न पौधे जनक पौधे के समान होते हैं। इन्हें स्वविकास में परेशानी नहीं होती है। इसी कारण कुछ पौधे को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन की आवश्यकता होती है।

5. डी. एन. ए. की प्रतिकृति बनाना जानने के लिए आवश्यक क्यों है?

 उत्तर– डी. एन. ए. (DNA) की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है क्योंकि वे अनुवांशिक लक्षणों के वाहक होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते रहते हैं। इससे जीवो में भीनता आती है जो परिवेश के अनुकूल होती है।


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1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?

 उत्तर– परागण क्रिया निषेचन से निम्न अर्थो में भिन्न है:-

  • परागकोष से पराग का वर्तिकाग्रु पर पहुंचना परागण है। जबकि परागण एवं अंडाणु के बीच संयोजन निषेचन है।
  •  परागण में वहको की आवश्यकता होती है जबकि निषेचन में नहीं।
  •  परागण के बाद ही निषेचन होता है। निषेचन के बाद परागण नहीं। परागण में अधिकांश पराग कणों की बर्बादी होती है। जबकि निषेचन में नहीं।

2. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?

 उत्तर– शुक्राशय मूत्राशय के आधार के दोनों तरफ स्थित होता है। इसमें चिपचिपा गड्ढा शराब उत्पन्न होता है जो शुक्राणुओं को  पोषित करता है। शुक्राशय नरो में पाया जाता है।

 प्रोस्टेट ग्रंथीशियन के अग्र भाग पर पाया जाता है। यह मूत्रमार्ग के चारों ओर स्थित होता है। इसमें उत्पन्न स्राव मूत्र मार्ग में पहुंचता है जो नष्ट कर देता है।

3. योनारंभ के समय लड़कियों में कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं?

 उत्तर– योनारंभ के समय लड़कियों में निम्न परिवर्तन होता है:-

  • ध्वनि में बदलाव आता है।
  •  अंडाशय में अंडाणु परिपक्व होने लगता है।
  •  स्तनों में उभार आने लगता है।
  •  अस्थानाग्र का रंग गहरा हो जाता है।
  •  त्वचा तीव्रता से तैलीय हो जाता है।
  •  रजोधर्म शुरू हो जाता है।

4. मां के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषक किस प्रकार प्राप्त होता है ?

उत्तर– मां के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण का पोषण माँ के रुधिर से प्राप्त होता है। जो प्लेसेंटा के माध्यम से भ्रूण तक जाता है। इससे भूण अवशोषित कर लेता है। पुनः भ्रूण द्वारा उत्सर्जी पदार्थ उसी प्लेसेंटा के माध्यम से मां के शरीर में भेज दिया जाता है।

5. यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या या उसकी यौन संचारित रोगों से रक्षा करेगा?

 उत्तर– महिला में कॉपर-टी का प्रयोग गर्भाधान रोकने की एक विधि है। कॉपर-टी शुक्राणुओं का अंडाणुओं से मिलन में बाधा पहुंचाती है। स्पष्ट है कि रोगाणु भी गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाते जिसे कॉपर-टी का प्रयोग करने वाली महिला का यौन संचारित रोगों से रक्षा हो जाती है।


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1.अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।

(a) अमीबा

(b) यीस्ट

(c) प्लैज्मोडीयम

(d) लेस्मानिया

उत्तर

2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?

(a) अंडाशय

(b) गर्भाशय

(c) शुक्रवाहिका

(d) डिंबवाहिनी

उत्तर

3. पराग कोष में होते हैं–

(a)  वाह्यदल

(b) अंडाशय

(c) अंडप

(d) पराग कण

उत्तर– पराग कण

4.अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?

 उत्तर– अलैंगिक जनन की तुलना में लैंगिक जनन के निम्न लाभ है:-

  • संततियो में समानता के बावजूद कुछ न कुछ अंतर अवश्य होता है।
  •  इसमें अनुवांशिक विविधता संपन्न होती है।
  •  उत्पन्न जीव अधिक शक्तिशाली होते हैं।
  •  लैंगिक जनन में उदविकाश में भी बहुत सहायक है।

5. मानव में वृषभ के क्या कार्य हैं?

 उत्तर– मानव में वृषभ में ही शुक्राणु उत्पन्न होते हैं। साथ ही साथ इसमें ही नर लिंग टेस्टोस्टरॉन हारमोंस की उत्पत्ति होती है।

6. ऋतुस्राव क्यों होता है?

 उत्तर– मादा में अंडाणु के निषेचन के लिए गर्भाशय की तैयारी जरूरी है। इसके लिए गर्भाशय की आंतरिक भी थी तथा उस में स्थित रुधिर वाहिकाएं फट जाती है। इसका परिणाम स्वरूप फटी हुई भीती के टुकड़े रुधिर के साथ मिलकर योनीमार्ग से शरीर के बाहर निष्कासित हो जाते हैं। इसे ऋतु स्राव कहते हैं।

7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाएं।

 उत्तर

10th class biology पुष्प की अनुदैर्ध्य काट
पुष्प की अनुदैर्ध्य काट

8. गर्भनिरोधक की विभिन्न विधियां कौन सी है?

 उत्तर– गर्भनिरोधक की विभिन्न विधियां निम्न है:-

(i) कॉपर-टी:-  इसका प्रयोग मादाओं द्वारा होता है। इससे गर्भाशय में स्थापित कर देने से शुक्राणु का संगलन अंडाणु से नहीं हो पाता

(ii) कंडोम का प्रयोग:- इसका प्रयोग नरो द्वारा किया जाता है। यह शिशन को ढक देता है। इससे शुक्राणु गर्भाशय में नहीं पहुंच पाती है।

(iii) रासायनिक विधि:- इस विधि में मादाओं द्वारा ऐसी विधि का प्रयोग किया जाता है जो हार्मोन संतुलन में परिवर्तन करते हैं। इससे अण्ड का मोचन नहीं होता है।

(iv) शल्य क्रिया द्वारा:- यह नर एवं मादा दोनों के लिए कारगर है । नरो में इस क्रिया द्वारा शुक्रवाहिनी के छोटे से भाग शल्य क्रिया द्वारा काटकर अलग कर दिया जाता है। मादा में विंडवाहिनी नलीयों के छोटे से भाग को अलग कर दिया जाता है।


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