Class 10 civics लोकतंत्र की चुनौतियाँ | पाठ-5 | Subjective solution Notes pdf

यहाँ हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 नागरिकशास्त्र अध्याय 5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ (loktantra ki chunautiyan) के बारे में विस्तार से पढेंगे . हम लोकतांत्रिक राजनीति भाग-2 किताब, Bihar board class 10 socail science (civics) chapter 5 solution, के बारे में पढेंगे. loktantra ki chunautiyan, class 10th civics, लोकतंत्र की चुनौतियाँ लघु उत्तरीय प्रश्न, लोकतंत्र की चुनौतियाँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board class 10 नागरिकशास्त्र अध्याय 5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ solution Notes:-

लोकतंत्र की चुनौतियाँ( अति लघु उत्तरीय प्रश्न) (loktantra ki chunautiyan)

प्रश्न 1.  लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है . कैसे ?

उत्तर– लोकतंत्र में संप्रभुता जनता में ही निहित है तथा यह जनता ही सारी शक्तियों का स्रोत है. इसी कारण लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है.

प्रश्न 2.  केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आपसी टकराव से लोकतंत्र कैसे प्रभावित होता है ?

उत्तर– केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आपसी टकराव से जनकल्याणकारी कार्य प्रभावित होंगे जिसका दुष्परिणाम अंततः आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा.

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प्रश्न 3.  परिवारवाद क्या है ?

उत्तर– किसी निर्वाचन विशेष क्षेत्र में वहां के प्रतिनिधि की  मौत या इस्तीफे के कारण वहां चुनाव लड़ने के लिए उस प्रतिनिधि के किसी सगे संबंधियों को टिकट देना ही परिवारवाद है.

प्रश्न 4.  आर्थिक अपराध का अर्थ स्पष्ट करें .

उत्तर– विदेशी मुद्रा का अवैध आगमन या विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा धन जमा करने की प्रवृत्ति आर्थिक अपराध है.

प्रश्न 5.  सूचना को अधिकार का कानून लोकतंत्र का रखवाला है, कैसे ?

उत्तर-’ सूचना  को अधिकार’ का कानून प्रत्येक स्तर पर जनता को जागरूक बनाता है.  इसलिए यह लोकतंत्र का रखवाला है.


लोकतंत्र की चुनौतियाँ (लघु उत्तरीय प्रश्न) :

प्रश्न 1.  लोकतंत्र से क्या समझते हैं ?

उत्तर– दुनिया के ज्ञात  शासन प्रणालियों लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें जनता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शासन करती है. यह सिद्धांततः और व्यवहारतः ‘ जनता का, जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है’. यह भेदभावरहित शासन है जो सभी प्रकार की असमानता की दीवारों को गिराने के लिए प्रयत्नशील रहती है.

प्रश्न 2.  गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है ?

उत्तर– चुनाव में किसी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में ही गठबंधन सरकार की नौबत आती है. इसके लाभ यह होता है कि मध्यावधि चुनाव की नौबत नहीं आती. परंतु गठबंधन से समर्थन देने वाले छोटे दल अपने स्वार्थ पूर्ति में लग जाते हैं जिससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ थोड़ी ढीली पड़ जाती है.

प्रश्न 3.  नेपाल में किस तरह की शासन व्यवस्था है ? लोकतंत्र की स्थापना में वहां क्या-क्या बाधाएं हैं ?

उत्तर– वर्तमान में नेपाल में अभी हिलता-डोलता अर्थात अल्पव्यस्क लोकतंत्र है. वहां सामाजिक विषमता, माओवादी विचारधारा, सशक्त संविधान का अभाव आदि लोकतंत्र की स्थापना में बाधाओं के रूप में है.

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प्रश्न 4.  क्या शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है ?

उत्तर– लोकतंत्र तभी सफलता के मार्ग पर दौड़ता है जब जनता लोकतंत्र के महत्व  को समझे, अपने कर्तव्य और अधिकारों को जाने और सरकार के कार्यों में दिलचस्पी ले. परंतु यह गुण शिक्षित जनता में ही हो सकता है. अतः शिक्षा का अभाव निसंदेह लोकतंत्र के लिए चुनौती है.

प्रश्न 5. आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है. कैसे ?

उत्तर-आतंकवाद संबंधित देश की एकता और अखंडता के लिए बाधक तो है ही साथ ही साथ शांति एवं व्यवस्था के लिए भी खतरा है. यह अलगाववाद को जन्म देता है. हम लोगों  का जीवन खतरे में पड़ जाता है. इसी कारण आज या किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए एक कड़ी चुनौती बन गया है.


 लोकतंत्र की चुनौतियाँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (loktantra ki chunautiyan)

 प्रश्न 1.  वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र की कौन-कौन सी चुनौतियां हैं ? विवेचना करें.

 उत्तर– वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र के निम्नलिखित चुनौतियां हैं:-

  1.  लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों के सभी के बीच लागू करना
  2.  महिलाओं और अल्पसंख्यकों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना
  3.  लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्य पद्धति को सुधारना तथा मजबूत  बनाना
  4.  स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव
  5.  दलीय राजनीति से ऊपर उठकर सार्वजनिक हितों में काम करना
  6.  एकता और अखंडता बनाए रखना
  7.  एक बुनियादी समस्याओं जैसे बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई दूर करना
  8. केंद्र और राज्यों के बीच के टकराव को रोकना
  9.  बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण एवं शिक्षा प्रसार
  10.  गठबंधन सरकार बनाने से रोकना

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प्रश्न 2.  बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी, लोकतंत्र के विकास में कहां तक सहायक है ?

उत्तर– वर्तमान में बिहार की राजनीतिक लगभग पुरुषों तक ही सीमित है. कुछ महिलाएं अवश्य आगे आई हैं परंतु इनकी संख्या नगण्य माना जा सकता है जनता तो महिलाएं भी हैं अतः महिलाओं को भी मूलभूत आवश्यकताओं का ज्ञान होता है. यदि ये महिलाएं जागरूक होकर राजनीति के मैदान में कूदे तो निश्चित ही बिहार की विकास चौमुखी होगा.

वर्तमान सरकार ने राजनीति में महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित कर उन्हें राजनीति के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया है. परंतु उनकी जागरूकता के अभाव में उनके पद का दुरुपयोग उनके पति और पुत्र कर रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है अतः बिहार के महिलाओं को जागरूकता, शिक्षा लाकर उन्हें राजनीति के धारा से जोड़ना होगा आधी आबादी जो राजनीति से वंचित है यदि शामिल हो जाए तो निश्चय ही बिहार में लोकतंत्र का विकास होगा.

प्रश्न 3.  परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित करता है ?

उत्तर– वस्तुतः बिहार में लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले अनेक कारण है परंतु इन कारकों में परिवारवाद और जातिवाद अपने चरम पर है. यहां देखने को मिलता है कियदि किसी प्रतिनिधि की मौत हो जाती है तो उस स्थान के लिए उसके परिवार के सदस्य को ही उम्मीदवार बना दिया जाता है भले ही वह राजनीति के योग्य न हो . यदि किसी प्रतिनिधि के सगे संबंधी को टिकट नहीं मिला तो वह पार्टी छोड़ने की धमकी दे डालता है. ऐसे लोगों को न तो आम जनता की चिंता रहती है और नहीं लोकतंत्र  की

दूसरी ओर चुनाव के जातीय समीकरण बिहार में बनना तो जैसे परंपरा हो गई है. किसी निर्वाचन विशेष क्षेत्र में कोई पार्टी उम्मीदवार की योग्यता नहीं देखती बल्कि उसकी जाति की संख्या दिखती है. स्पष्ट है कि जिन जातियों की संख्या कम है वे  आम सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं.

अतः बिहार में राजनीति में परिवारवाद और जातिवाद को परंपरा न बनाकर राजनीति करना है बिहार और लोकतंत्र दोनों के लिए उचित होगा.

प्रश्न 4.  क्या चुने हुए शासक लोकतंत्र में अपनी मर्जी से सब कुछ कर सकते हैं ?

उत्तर– लोकतांत्रिक देशों में चुने हुए शासक एक निश्चित अवधि के लिए चुने जाते हैं न की जीवन भर के लिए . वे जनप्रतिनिधि होते हैं . जो निर्वाचित होने से पहले जन समस्याओं को दूर करने की बात करते हैं . उनसे जनता सब संतुष्ट हो जाती है तब उन्हें प्रतिनिधि चुनती है. यह जन प्रतिनिधि हैं सरकार बनाते हैं. यदि वे अपनी मर्जी से देश रहित और जनहित कार्य करते हैं तो इससे कोई नुकसान नहीं है.

परंतु यदि ये मर्जी से जनहित के खिलाफ कार्य करते हैं तो जनता अगले चुनाव में उन्हें पराजित कर देती है. वैसे भी संविधान उनकी मर्जी की इजाजत भी नहीं देता अतः सर्वशक्तिमान जनता के आगे शासकों की मनमानी न चल सकती और न ऐसा सोच सकते हैं .

प्रश्न 5.  न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है कैसे ? इसके सुधार के उपाय क्या है ?

उत्तर– लोकतंत्र जनमत पर आधारित शासन होता है जिसमें शासन की बागडोर जनप्रतिनिधियों के हाथ में होता है. सरकार के तीन अंगों में से एक न्यायपालिका एक महत्वपूर्ण अंग है. यह अन्य दो अंगो कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है अर्थात न्यायपालिका पर इन दोनों का कोई नियंत्रण नहीं है.

लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका का जहां तक सवाल है तो विधायिका न्यायपालिका के प्रति उत्तरदायी है. जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है. यह नागरिक अधिकारों का रखवाला भी होता है. संविधान की व्याख्या करने का भी इसे अधिकार है. सरकार के कुछ कार्यों में जनहित याचिका दायर होने पर यह हस्तक्षेप भी करता है. अतः न्यायपालिका को स्वच्छ रहना बहुत जरूरी है. इसके लिए न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करना न्यायिक कार्य में विलंब आदि विसंगतियां जो चुनौती के रूप में है उन्हें दूर करना आवश्यक है.

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प्रश्न 6. क्या आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है ? स्पष्ट करें .

उत्तर– वर्तमान में आतंकवाद का नाम कमावेश पूरे विश्व में अपने फनो को फैला चुका है. अधिकांश देश  इस  दानव से ग्रस्त हैं. जिनमें भारत भी शामिल है. यह देश की अखंडता और एकता पर चोट करता है. यह अलगाववाद को जन्म देता है. इसमें अपने कार्यों को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है तो यह गैर कानूनी चीजों जैसी- गांजा,चरस आदि की  तस्करी करने से भी बाज नहीं आता. यह आम जनता को भड़का कर उन्हें आतंक फैलाने के लिए मजबूर करता है.

ऐसी स्थिति में यह किसी ग्रसित राष्ट्र के लिए चुनौती बन जाता है. इसका हर क्रियाकलाप लोकतंत्र की मजबूत दीवारों पर ही प्रहार करता है. इसकी हर चोट लोकतंत्र पर ही होती है. अतः देश के विकास में बाधक और लोकतंत्र के लिए खतरा बने इस नाग को कुचलना एक बड़ी चुनौती है. हर देश को मिलकर सामूहिक प्रयास द्वारा इसे नेस्तनाबूद किया जा सकता है. आतंकवाद को रसरा देने वाले देश स्वयं इसके शिकार हो रहे हैं. अतः उन्हें भी इसे बचना होगा. हमारे देश आतंकवाद पर अंकुश लगाने या उसे जड़ से उखाड़ने के लिए कृत संकल्प है.


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आज हमने जाना बिहार बोर्ड कक्षा 10 नागरिकशास्त्र अध्याय 5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ के बारे में , आशा करता हूँ आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी . loktantra ki chunautiyan, class 10th civics

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