chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष BSEB Class 10 civics solution Notes pdf

इसमें हम जानेगे Bihar Board class 10th civics chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष के बारे में यहाँ हम कक्षा-10 नागरिकशास्त्र अध्याय 3 के सभी प्रश्नों को हल करेंगे हम objective और subjective सभी प्रश्नों को हल करेंगे. Loktantra Mein Pratispardha Evam Sangharsh, class 10th civics

10th class civics chapter 3 subjective solution Notes :-

लघु उत्तरीय प्रश्न:- Loktantra Mein Pratispardha Evam Sangharsh

प्रश्न 1.  बिहार में हुए’ छात्र आंदोलन’ के प्रमुख कारण क्या थे ?

उत्तर– बिहार में हुए छात्र आंदोलन के प्रमुख कारण थे:-

  •  देश की ख़राब सामाजिक और आर्थिक दशा
  •  बांग्लादेश में आए शरणार्थियों के कारण अर्थ व्यवस्था लड़खड़ा गई थी
  •  बाजार में तेल की कीमतों में भारी वृद्धि
  •  कृषि पैदावार में कमी
  •  बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि

प्रश्न 2.  ‘चिपको आंदोलन’ का मुख्य उद्देश्य क्या थे ?

उत्तर- चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:-

  •  जंगल की अवैध कटाई पर रोक लगाना
  •  स्थानीय भूमिहीन वन कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की मांग
  •  महिलाओं द्वारा शराब खोरी के विरुद्ध आवाज उठाई
  •  जंगल कटाई का ठेका किसी बाहरी को नहीं देना

>>Civics(नागरिकशास्त्र) | पाठ- 1 | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी | solution Notes

>>civics Chapter 2 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष objective Notes pdf

प्रश्न 3.  स्वतंत्र राजनीतिक संगठन कौन होता है ?

उत्तर– राजनीतिक दल से परे जब कोई जनसमूह अपने हितों की रक्षा के लिए समूह बनाता है और सत्ता पर प्रभाव डालता है तब उसे स्वतंत्र राजनीतिक संगठन कहा जाता है. जैसे:- भारतीय किसान यूनियन.


प्रश्न 4. भारतीय किसान यूनियन की मुख्य मांगे क्या थी ?

उत्तर– भारतीय किसान यूनियन की मुख्य मांगे थे:-

  •  गन्ने और गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि
  •  कृषि उत्पादों के एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर लगी पाबंदी  हटाना
  •  समुचित दर पर गारंटी युक्त बिजली आपूर्ति करना
  •  किसानों के बकाया कर्ज माफ करना और पेंशन योजना का प्रावधान करना

>>Civics Chapter 2 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष subjective Solution Notes pdf

>>Civics chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Objective solution Notes

प्रश्न 5.  सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?

उत्तर– सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य  निम्न थे:-

  •  लोगों को समस्त सरकारी या गैर सरकारी सूचना प्राप्त हो
  •  सूचना के अधिकार संबंधी विधेयक पारित हो
  •  जनता को अपने वेतन एवं भुगतान के बिल प्राप्त हो

प्रश्न 6.   राजनीतिक दल की परिभाषा दें.

उत्तर– ऐसे व्यक्तियों का समूह जिनका उद्देश्य समान हो और उनका उद्देश्य राजनीतिक क्रियाकलापों से संबंधित हो, राजनीतिक दल कहलाता है. यह लोकतंत्र का प्राण तथा जनता के मस्तिष्क को राजनीतिक भोजन  प्रदान करने वाला होता है. सरकार बनाना, चुनाव लड़ना, विपक्ष की भूमिका निभाना, मतदान करना आदि इसके मुख्य कार्य होते हैं.


प्रश्न 7.  किस आधार पर आप कह सकते हैं कि राजनीतिक दल जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का काम करता है ?

उत्तर– राजनीतिक दलों का एक प्रमुख कार्य है जनता और सरकार के बीच मध्यस्थता करना. राजनीतिक दल ही जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने रखते हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाते हैं.  इस तरह राजनीतिक दल सरकार एवं जनता के बीच पुल-निर्माण का कार्य करते हैं.


>>Bihar Board Class 10 History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद subjective solution Notes

>>NCERT Class 10 History Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद subjective solution Notes

प्रश्न 8.  दलबदल कानून क्या है ?

उत्तर-सत्ता में शामिल होने के लिए या कई कारणों से विधायकों और सांसदों का एक दल से दूसरे दल में जाना है दल-बदल कहलाता है. यह लोकतंत्र के लिए घातक है. इस पर रोक लगाने के लिए बना कानून ही दल बदल कानून कहलाता है. परंतु 1985 में बना दल बदल विरोधी अधिनियम अभी तक इनकी प्रवृत्तियों पर शत-प्रतिशत अंकुश नहीं लगा पाई है.


प्रश्न 9.  राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं ?

उत्तर- कोई राजनीतिक दल राष्ट्रीय राजनीतिक दल तब कहलाता है जब उसको लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में 4 से अधिक राज्यों द्वारा कूल डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करने के साथ किसी राज्य या राज्य से लोकसभा की कम से कम 4 सीटों पर विजय हो या लोकसभा में कम से कम 2% सीटें या 11 सीटें जीते जो कम से कम 3 राज्यों से हो.


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:-Loktantra Mein Pratispardha Evam Sangharsh

प्रश्न 1.  जन संघर्ष से भी लोकतंत्र मजबूत होता है. क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?अपने पक्ष में उत्तर दें.

उत्तर– लोकतंत्र शासन प्रणाली का मूल सिद्धांत है- जनकल्याण. अगर जनकल्याण नहीं हो और जन संघर्ष की स्थिति पैदा हो तब निश्चय ही यह लोकतंत्र मजबूत होगा.अतः ‘जन संघर्ष से लोकतंत्र मजबूत होता है’ मैं इस कथन से सहमत हूं.

लोकतंत्र जनसंघर्ष के द्वारा विकसित होता है। लोकतंत्र में फैसले आम सहमति से लिए जाते हैं. यदि सरकार फैसले लेने में जनसाधारण के विचारों को अनदेखी करती है तो ऐसे फैसला के खिलाफ जनसंघर्ष होता है और सरकार पर दवाब बनाकर आम सहमति से फैसले लेने के लिए मजबूर किया जाता है . इससे विकास में आनेवाली बाधाएँ दूर हो जाती हैं.

जनसंघर्ष सरकार को तानाशाह होने एवं मनमाना निर्णय से रोकते हैं क्योंकि लोकतंत्र में संघर्ष होना आम बात होती है. इन संघर्षों का समाधान जनता व्यापक लामबंदी के जरीए करती है. कभी-कभी इस तरह के संघर्षों का समाधान संसद या न्यायपालिका जैसे संस्थाओं द्वारा भी होता है, जिससे सरकार को हमेशा जनसंघर्ष का भय बना रहता है और सरकार तानाशाह हान एवं मनमाना निर्णय से बचती है.

जनसंघर्ष से राजनीतिक संगठनों आदि का विकास होता है . ये राजनीतिक संगठन जन भागीदारी के द्वारा जन समस्याओं को सुलझाने में सहायक होते हैं . ये राजनीतिक संगठन राजनीतिक दल, दवाब समूह और आंदोलनकारी समूह के रूप में जाने जाते हैं.

इस तरह हम समझ सकते हैं कि लोकतंत्र में जनसंघर्ष की अहम् भूमिका होती है.

>>प्रथम विश्वयुद्ध से जुडी महत्वपूर्ण तथ्य

>>जर्मनी का एकीकरण से जुडी तथ्य


प्रश्न 2. किस आधार पर कह सकते हैं कि बिहार में शुरू हुआ  ‘छात्र आंदोलन’ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया.

उत्तर– वस्तुतः बिहार की बुनियादी समस्याओं की अनदेखी के कारण छात्रों ने सरकार के विरुद्ध जमकर आंदोलन किया था  जिसकी मुख्य मांगों का निष्कर्ष कांग्रेस सरकार की बर्खास्तगी  थी. कमोवेश बिहार की तरह ही देश के अन्य भागों में ऐसी समस्या थी. परंतु जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन को देशव्यापी बनाने की पहल की और पहल भी रंग लाया.

रेलवे कर्मचारी भी केंद्र सरकार के विरुद्ध  कूद पढ़ें. जयप्रकाश नारायण द्वारा 1975  में दिल्ली में आयोजित संसद मार्च का नेतृत्व किया जिसकी गूंज देश के कोने-कोने में पहुंची. इंदिरा गांधी के नेतृत्व को भी इलाहाबाद उच्चन्यायालय ने अवैध करार दिया. इसने आंदोलन रूपी आग में घी का काम किया.इंदिरा गांधी जी से इस्तीफे की मांग की गई और राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोषणा की गई. इंदिरा को इमरजेंसी लगाना  पड़ा और अनेक नेता जेल में डाल दिया गया. 1977 के चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी इस प्रकार देखा जाए तो बिहार से शुरू हुआ’ छात्र आंदोलन’ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया.


प्रश्न 3.  निम्नलिखित वक्तव्यो को  पढ़ें और अपने पक्ष में उत्तर दें:-

(क) क्षेत्रीय भावना लोकतंत्र को मजबूत करती है.

उत्तर– लोकतांत्रिक देशों में क्षेत्रीय विभिनता होने से समस्याएं भी अलग-अलग होती है. ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय भावना का जन्म होना गैर लोकतांत्रिक नहीं है. क्षेत्रीय समस्या भी लोकतंत्र की ही समस्या है. भारत में क्षेत्रीय भावना से ही कई अलग राज्य बने जिनका आज विकास हो रहा है.

(ख) दबाव समूह स्वार्थी तत्वों का समूह है.इसलिए इसे समाप्त कर देना चाहिए.

उत्तर– वस्तुतः दबाव समूह उन लोगों का समूह होता है जो राजनीतिक दल से संबंध ना होकर बल्कि अपने विशेष उद्देश्यो की पूर्ति के लिए सत्ता पर प्रभाव डालते हैं. चूँकि इनके हित में सार्वजनिक हित न  होकर व्यक्तिगत हित होते हैं.अतः यह स्वार्थी तत्व के समूह है.

(ग) जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है.

उत्तर– अहिंसात्मक और सार्वजनिक कल्याण के लिए जन संघर्ष वो लोकतंत्र को मजबूत बनाता है परंतु विकासात्मक कार्य से बाधा डालने वाला, आर्थिक  संसाधनों को नुकसान पहुंचाने वाला और हिंसात्मक जन संघर्ष लोकतंत्र का कब्र खोदता है. अतः निश्चय ही ऐसा  जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है.

(घ) भारत में लोकतंत्रके लिए हुए  आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका नगण्य है.

उत्तर– भारतीय महिलाओं में प्रायः लोक- लाज, अशिक्षा, राजनीतिक अरुचि आज भी देखने को मिलती है.प्रायः यह अपना क्रिया- कलाप घरेलू कार्यों तक सीमित रखने की परंपरा के डोर में बंधी होती है. इसी कारण लोकतंत्र के लिए आंदोलनों  मैं महिलाओं की भूमिका नगण्य है.


>>दुनिया की सबसे लम्बी नदी कौन सी है?

                      >>दुनिया की सबसे ठंडी जगह कौन सी हैं?

प्रश्न 4.  राजनीतिक दल को ‘ लोकतंत्र का प्राण’ क्यों कहा जाता है ?

उत्तर-राजनीतिक दल को लोकतंत्र का प्राण’ कहा जाता है. इसीलिए लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में राजनीतिक दलों की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. किसी भी शासन-व्यवस्था में किसी भी समस्या पर हजारों लोग अपना विचार रखते हैं. किन्तु, इन विचारों और दृष्टिकोणों का कोई मतलब नहीं रह जाता है जब तक इन विचारों को किसी दल के विचारों से न जोड़ा जाए .

राजनीतिक दल देश के लोगों की भावनाओं एवं विचारों को जोड़ने का काम करते हैं . इस दृष्टि से हमारे लिए राजनीतिक दलों की आवश्यकता है. इसके अलावा, लोकतंत्र में राजनीतिक दल की आवश्यकता इसलिए भी है कि यदि दल नहीं होगा तो सभी उम्मीदवार निर्दलीय होंगे. उम्मीदवार अपनी नीतियाँ राष्ट्रहीत में न बनाकर उस क्षेत्र विशेष के लिए बनाएँगे जिन क्षेत्रों से वे चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसी स्थिति होने से देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी और देश का विकास रुक जाएगा.

इस समस्या से बचने के लिए राजनीतिक दलों का होना आवश्यक है। राजनीतिक दलों की नीतियाँ एवं कार्यक्रम समग्र एवं व्यापक होता है न कि किसी क्षेत्र विशेष के लिए। राजनीतिक दल के सदस्य सभी जाति, धर्म, क्षेत्र एवं लिंग के होते हैं। इसके चलते राजनीतिक दल सभी लोगों की समस्याओं को समेटकर सरकार के सामने रखते हैं और उनके समाधान का प्रयास करते हैं.


प्रश्न 5.  राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में किसी प्रकार योग योगदान करते हैं.

उत्तर– सर्वप्रथम राष्ट्रीय विकास में योगदान के कारणों पर दृष्टिपात किया जाए तब या विकास तभी संभव है जब जनता में जागरूकता हो, समाज एवं राज्य में एकता एवं राजनीतिक स्थायित्व हो, नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सजग हो, जनता देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझें. ये सभी राजनीतिक दल द्वारा ही संभव होते हैं. अतः राष्ट्रीय विकास में राजनीतिक दल की भूमिका अहम है.

दूसरी ओर विभिन्न जाति, धर्म वर्ग आदि के प्रतिनिधि विवाद का समाधान तुरंत करते हैं. देश में राजनीतिक स्थायित्व लाना हो, सरकार की रचनात्मक आलोचना करना हो, प्राकृतिक आपदा के समय राहत कार्यों पर ध्यान देना हो या जनकल्याणकारी कार्य संबंधी कानून पारित करवाना हो, इन सब में राजनीतिक दल की ही भूमिका होती है. ये सभी कार्य राष्ट्रीय विकास में अपना योगदान देती है. इसी कारण राष्ट्रीय विकास का मूल राजनीति दल है.


प्रश्न 6. राजनीति दलों के प्रमुख कार्य बताएं.

उत्तर– राजनीति दलों के प्रमुख कार्य निम्न है :-

1. राजनीतिक प्रशिक्षण :-

राजनीतिक दल मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देने का भी काम करते हैं. राजनीतिक दल खासकर चुनावों के समय अपने समर्थकों को राजनैतिक कार्य जैसे- मतदान करना. चुनाव लड़ना, सरकार का नातिया करना आदि बताते हैं . इसके अलावा, सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक एवं शैक्षिक गतिविधियाँ तेजकर उदासीन मतदाताओं को अपने से जोड़ने का भी काम करते हैं जिससे लोगों में राजनीतिक चेतना की जागृति होती है.

2. दलीय कार्य :-प्रत्येक राजनीतिक दल कुछ दल संबंधी कार्य भी करते हैं, जैसेअधिक से अधिक मतदाताओं को अपने दल का सदस्य बनाना, अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करना तथा दल के लिए चंदा इकट्ठा करना आदि.

3. नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करना :- राजनीतिक दल जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करते हैं . इन्हीं नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर ये चुनाव भी लड़ते हैं. राजनीतिक दल भाषण, टेलीविजन, रेडियो. समाचार-पत्र आदि के माध्यम से अपनी नीतिया एवं कार्यक्रम जनता के सामने रखते हैं और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करते हैं . मतदाता भी उसी राजनीतिक दल को अपना समर्थन देते हैं जिसको नीतियाँ एवं कार्यक्रम जनता के कल्याण के लिए एवं राष्ट्रीय हित को मजबूत करनेवाला होता है.

4. शासन का संचालन :-राजनीतिक दल चुनावों में बहुमत प्राप्त करके सरकार का निर्माण करते हैं. जिस राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है वे विपक्ष में बैठते हैं जिन्हें विपक्षी दल कहा जाता है. जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष शासन का संचालन करता है वहीं विपक्षी दल सरकार पर नियंत्रण रखता है और सरकार को गड़बड़ियाँ करने से रोकता है.


प्रश्न 7. राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की मान्यता कौन प्रदान करते हैं और इसके मापदंड क्या है ?

उत्तर

कौन राजनीतिक दल राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं और कौन राज्य स्तरीय, इसका निर्धारण निर्वाचन आयोग ही करता है. राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न का निर्धारण भी चुनाव आयोग करता है.

राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दलों को लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में 4 या अधिक राज्यों द्वारा कुल डाले गए वैध मतों का 6 प्रतिशत प्राप्त करने के साथ किसी राज्य या राज्य से लोकसभा की कम-से-कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है या लोकसभा में कम-से-कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है या लोकसभा में कम-से-कम 2 प्रतिशत सीटें अर्थात् 11 सीटें जीतना आवश्यक है जो कम से कम तीन राज्यों से होनी चाहिए.

इसी तरह राज्य स्तरीय राजनीतिक दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए उस दल को लोकसभा या विधान सभा के चुनावों में डाले गए वैध मतों का कम-से-कम 6 प्रतिशत मत प्राप्त करने के साथ-साथ राज्य विधानसभा की कम-से-कम 3 प्रतिशत सीटें या 3 सीटें जीतना आवश्यक है.


आज हमने जाना Bihar Board class 10th civics chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष के बारे में आशा करता हूँ की आपको ये जानकी अच्छी लगी होगी . Loktantra Mein Pratispardha Evam Sangharsh, Loktantra Mein Pratispardha Evam Sangharsh, class 10th civics, class 10th civics, class 10th civics, Civics Chapter 3 Subjective Question 10th Class

3 thoughts on “chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष BSEB Class 10 civics solution Notes pdf”

Leave a Comment

%d bloggers like this: