Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 3 अलसकथा Solution Notes

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NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 3 अलसकथा Solution Notes

कक्षा 10 संस्कृत(Sanskrit) अध्याय तृतीय अलसकथा संस्कृत अर्थ:-

यह पाठ विधापतिकृत पुरुष परीक्षा नामक कथा ग्रंथ का विशेष अंग है। पुरुष परीक्षा सरल संस्कृत भाषा में कथा रूप द्वारा विभिन्न मानवीय गुणों का वर्णन करता है और  दोषों के निराकरण के लिए शिक्षा देता है। विद्यापति लोकप्रिय मैथिल कवि थे और भी बहुत संस्कृत ग्रंथों के निर्माता भी विद्यापति थे। उनकी विशेषता संस्कृत विषय में भी बहुत है। प्रस्तुत पाठ में आलस्य नामक दोष के निरूपण में व्यंग्यात्मक कथा प्रस्तुत है। नीतिका आलस्य को निपुरूप मानता है।

 मिथिला में वीरेश्वर नामक मंत्री थे। और वे स्वभाव से दानशील,  करुणासील, तथा सभी  और असहायों और अनाथो को प्रतिदिन भोजन दिलाते थे। उसी बीच  आलसियों को भी अन्न वस्त्र दिलाते थे। क्योंकि

 सभी असहायों में आलसियों को प्रथम माना जाता है। वहपेट की आग से ग्रसित होकर कुछ नहीं कर पाता है।

तब आलसी पुरुषों के वहां इच्छित लाभ सुनकर बहुत तोद बढ़ाने वाले  वहां गोलाकार रूप से  एकत्रित होने लगे। क्योंकि-

 साथ रहने वाले सभी की इच्छा सुविधाजनक जीवन जीने की होती है। अपने सामान के सुख को देखकर कौन प्राणी नहीं दौड़ता है?

 बाद में आलसियों  के सुख को देखकर धूर्त भी कृत्रिम आलस्य दिखाकर भोजन ग्रहण करने लगे। तब बाद में आलस शाला में बहुत द्रव्य के व्यय को देख कर उस नियुक्त अधिकारी द्वारा विचार किया गया- की अक्षम जानकर दया पूर्ण केवल आलस्य को स्वामी वस्तु दिलाते थे किंतु आलस हीन कपटी भी ग्रहण करते हैं, यह हम लोगों की असावधानी है। यदि होता है तो तब आलसी पुरुषों का परीक्षा लेंगे, ऐसा विचार कर सोए हुए आलशशाला मे उस अधिकारी पुरुष में अग्नि लगाकर जांचने को सोचा।

 तब घर में लगे हुए आग को बढ़ते हुए देखकर सभी धूर्त भाग गए। बाद में थोड़ा आलसी भी भाग गए। चार पुरुष वही सोए हुए परस्पर बात करने लगे। एक नए वस्त्र से मुंह ढके हुए ही कहा- अरे! यह कोलाहल क्यों है? द्वितीय ने कहा- प्रतीत होता है कि इस घर में आग लगी है। तृतीय ने कहा-  कोई भी वैसा धार्मिक नहीं है जो इस समय जल से भीगे हुए वस्त्र अथवा चटाई से हम लोगों को ढक दें। चतुर्थ ने कहा- अरे वाचाल! कितना बोलते हो? चुपचाप क्यों नहीं रहते हो? तब उन चारों के इस प्रकार के परस्पर बातचीत को सुनकर तथा बढ़ती हुई आग को उनके ऊपर गिरते हुए देखकर नियुक्त अधिकारियों के द्वारा  वध के भय से चारों आलसियों को केस खींचकर बाहर निकाला गया। बाद में उन्हें देखकर अधिकारियों ने पढ़ा-

 स्त्रियों का आश्रय पति और बच्चों का आश्रमा होती है, किंतु आलसियों का आश्रय दयालु के अतिरिक्त कोई नहीं होता है।

 बाद में उन चारों आलसियों को मंत्री ने और अधिक वस्तु दिलवाई।


कक्षा 10 संस्कृत(Sanskrit) अध्याय तृतीय अलसकथा किताब के प्रश्न उत्तर:-

शब्दार्थाः-

अलसः – आलसी,

कारुणिकः – दयालु,

दुर्गतेभ्यः – गरीबो को, 

प्रत्यहम् – प्रतिदिन, 

रिपुः – शत्रु, 

जाढरेण – पेट से, 

तत्रेष्टलाभम् – वहाँ पर इच्छित वस्तु का लाभ, 

तुन्दपरिमृजास्तत्र – तोंद बढ़ा हुआ, 

सौकर्यमूला – सुविधाजनक, 

सजातीनाम् — अपने जातियों का, 

कृत्रिममालस्यम् – बनावटी आलस्य, 

बहुद्रव्यव्ययम् – अधिक धन का व्यय, 

परामृष्टम् – विचार किया, 

बुद्घया – बुद्धि से, 

प्रमादः – आलस्य, 

प्रसुप्तः – सोया हुआ, 

वहिनम् – आग को, 

दापयति – दिलाता है, 

प्रवृद्धम् – फैला हुआ, 

ईषत – थोड़ा, 

पलायिता – भाग गये, 

जलाद्रैः – जल से भींगा, 

कटैः वा – चटाई से, 

प्रावृणोति – ढकता है, 

तूष्णीम् – चुपचाप, 

अलापम् – वार्ता, 

आकृष्य – खींचकर, 

आलोक्य – देखकर। ।


सन्धि विच्छेद :- 

विद्यापतिरासीत् – विद्यपतिः + आसीत्, 

व्यंग्यात्मिका – व्यंग्य + आत्मिका, 

दुर्गतेभ्योऽनार्थेभ्यश्च – दुर्गतेभ्यः + अनाथेभ्यः + च, 

प्रत्यहमिच्छाभेजनम् – प्रत्यहम् + इच्छा + भोजनम्, 

लसेभ्योऽप्यन्नवस्त्रे – लसेभ्यः + अपि + अन्नवस्त्रे, 

जाढरेणाऽपि – जाठरेणा + अपि, 

ततोऽलसपुरुषाणाम् – ततः + अलसपुरुषाणाम्, 

पश्चादलसानां – पश्चात् + अलसानां, 

तदन्तरमलसशालायाम् – तत् + अन्तरम् + अलसशालायाम्, 

परामृष्टम्यदक्षमबुद्धया – परामृष्टम् + यत् + अक्षमबुद्धया, 

तदालसपुरुषाणाम् – तत् + अलसपुरुषाणां, 

पश्चादरीषदलसा – पश्चात् + इषत् + अलसा, 

अग्निर्लग्नोऽस्ति’– अग्निः + लग्नः + अस्ति, 

तृतीयेनोक्तम् – तृतीयेन + उक्तम्, 

जलादैवासोभिः – जलादै + वासोभिः, 

ततश्चतुर्णामपि – ततः + चतुणाम् + अपि, 

ततोऽप्यधिकतरं – ततः + अपि + अधिकतरं, 

कारुणिकश्च – कारुणिकः + च, 

तन्मध्ये – तत् + मध्ये, 

तन्नियोगिपुरुषैः – तत् + नियोगिपुरुषैः, 

किञ्चिन्न – किञ्चित् + न, 

काचिल्लोके – काचित् + लोक, 

तत्तेष्टलाभं – तत्र + इष्टलाभम्, 

निर्मातापि – निर्माताः + अपि। ,

समासः-

अक्षमबुद्धया – बुद्धया अक्षमः (तृतीया तत्फुष), 

मैथिलीकवि: – मैथिलीभाषयाः कविः (षष्ठी तत्पुरुष) ,

नीतिकारा: – नीत्याः रचनाकाराः (षष्ठी तत्पुरुष), 

कारुणिक – करुणायाः युक्तम् (पञ्चमी तत्पुरुष) ,

पुरुषपरीक्षा – पुरुषस्य परीक्षा (षष्ठी तत्पुरुष), 

मानवगुणाना – मानवस्य गुणानां (षष्ठी तत्पुरुष), 

विद्यापतिः – विद्यायाः पति (षष्ठी तत्पुरुष, 

जलाद्रैः – जलेन आद्रैः (तृतीया तत्पुरुष), 

नियोगिपुरुषैः – नियोगिना पुरुषैः (तृतीया तत्पुरुष), 

बहुद्रव्यव्ययं – बहुद्रव्यानां व्ययं (षष्ठी तत्पुरुष) ,

वीरेश्वरः – वीरस्य ईश्वरः (षष्ठी तत्पुरुष),


मौखिकः- प्रश्न (संस्कृत में)

अयं कथा कस्मात् ग्रन्थात् उद्धृतोऽस्ति ? 

उत्तर- अयं कथा पुरुषापरीक्षा ग्रन्थात् उद्धृतोऽस्ति। 

अस्य कथायां कस्य महत्वम् वर्णितम् अस्ति ? 

उत्तर- अस्य कथायां मानवगुणानां महत्वम् वर्णितम् अस्ति। 

अस्य कथायाः रचनाकारः कः ? 

उत्तर- अस्य कथायाः रचनाकार: विद्यापतिः। 

अयं कथा किं शिक्षा ददाति ? 

उत्तर- अयं कथा मानवस्यदोषान् निवरणाय शिक्षां ददाति 

विद्यापतिः कः आसीत् ? 

उत्तर- विद्यापतिः मैथिलीकतिः आसीत्। 

अस्मिन् कथायां कस्य दोषस्य वर्णनम् अस्ति ? 

उत्तर- अस्मिन् कथायां अलसस्य दोषस्य वर्णनम् अस्ति। 

अलसः किम् अस्ति ? 

उत्तर- अलसः शत्रु अस्ति। 

मिथिलायाः मन्त्री कः आसीत् ? 

उत्तर- मिथिलायाः मन्त्री वीरेश्वरः आसीत्। 

ततो कं दृष्ट्वा सर्वे धूर्ताः पलायिताः ? 

उत्तर- ततो प्रवृद्धम् अग्निं दृष्ट्वा सर्वे धूर्ताः पलायिताः। 

अलसशालायां बहुदव्यव्ययं दृष्टवा तन्नियोगिपुरुषैः किं परामृष्टम् 

उत्तर- अलसशालायां बहुद्रव्यव्ययं दृष्टवा तन्नियोगि पुरुषै परामृष्टम् यत् – अक्षम बुद्घया करुणया च केवलमलसेभ्यः स्वामी वस्तूनि दापयति, कपटेन अनलसाः अपि – गृहणन्ति इति अस्माकं प्रमादः।


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (संस्कृत में)

(क) अग्निम दृष्ट्वा कः पलायिताः ?

  धूर्ताः

(ख) कतिः पुरुषाः सुप्ताः आसन् ? 

– चत्वारः

(ग) एकः पुरुषः किम् अवदत् ?

 – अहो कथमयं कोलाहलः

(घ) द्वितीयः पुरुषः किम् अवदत् ?

 –  गृहेअग्निलग्नः अस्ति

(ड.) तृतीय पुरुषः किम् अवदत् ?

 – अत्र कोऽपि धार्मिकः नास्ति यः इदानीं। जलापूँवासोमिः कटै:वा अस्मान् आच्छादयति

(च) चतुर्थः पुरुषः किम् अवदत् ?

 – अये वाचाला: तूष्णीं कथं न तिष्ठथ

(छ) वीरेश्वरः कः आसीत् ?

 – मिथिलादेशस्य मंत्री

(ज) तस्य स्वभावः किम् आसीत् ? 

– दानशील: कारुणिकः च

(झ) अलसानां सुखं दृष्ट्वा कः कृत्रिमालस्यंदर्शयित्वा भोजनं गृहणन्ति ?

 – धूर्ताः

(ट) अलस कथायाः कथाकारः कः ? 

 विद्यापतिः

(ठ) वीरेश्वरो नाम मन्त्री कुत्र आसीत् ?

 – मिथिलादेशे 

(ड) केषाम् इष्ट लाभं दृष्टवा तुन्दपरिमृजां वर्तुली बभूवुः ?

 – तुन्दपरिमृजां वर्तुली बभूवुः


वस्तुनिष्ट प्रश्न:-

अलसकथा पाठ का कथाकार कौन है तथा उन्होंने किस ग्रन्थ की रचना की ?

उत्तर- अलसकथा पाठ का कथाकार लोकप्रिय मैथिलि कवि विद्यापति है । तथा उन्होंने पुरुषपरीक्षा नामक कथा ग्रन्थ की रचना की ।

अलसकथा पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर- अलसकथा पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन में कभी भी आलस्य नहीं करने चाहिए । क्योंकि आलस्य जीवन का सबसे बड़ा शत्रु होता है । यह जिसके अन्दर अपना निवास स्थली बना लेता है, उसके गति को जर्जर कर उन्हें सदा के लिए निष्क्रिय बना देता है ।

वीरेश्वर के स्वाभाव को बताएँ । 

उत्तर- वीरेश्वर बहुत ही दानशील और कारुणिक स्वाभाव का था । वह अपने देश में किसी को भी दुःखमय या कष्टमय देखना नहीं चाहता था । इसलिए वह अपनी इच्छानुसार सभी दुर्गति पुरुषों, अनाथो व आलसियों को भोजन देने के साथ-साथ कपड़ा भी दान में देता था ।

आलसियों के वार्तालाप को लिखें ।

उत्तर- पहला आलसी पुरुष ने कहा –  “यह हल्ला कैसा?” दुसरे ने कहा – “लगता है इस घर में आग लग गयी है।” तीसरे ने कहा – “यहाँ कोई धार्मिक नहीं है,जो पानी से इस आग बुझाए या पानी से भींगे कपड़ो से हमलोगों को ढँक दे ।” चौथे ने कहा – “अरे! वाचाल कितनी बाते करोगे? तुमलोग चुप-चाप नहीं रह सकते हो ।”

आलसियों के गति पर प्रकाश डालें ।

उत्तर- इस संसार में दुर्गति वालों में सबसे पहला स्थान आलसी का है । वस्तुतः आलसियों को गति इस संसार में दयावान पुरुषों के अलावा और किसी से नहीं है ।


आज हमने जाना Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 3 अलसकथा Solution Notes के बारे में ,

Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 1 मङ्गलम् Subjective Solution Notes

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम् (Subjective) Solution

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