Bihar Board Class 10 History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद subjective solution Notes

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लघु उत्तरीय प्रश्न:- (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थे ?

उत्तर- फ़्रांस का राजा लुई फिलिप बेशक उदारवादी तथा महत्वाकांक्षी था. परन्तु वह विरोधियो को खुश करने में ही अपनी और शासन की भलाई समझता था . इन गलतियों की कड़ी में एक कड़ी और तब जुड़ गई जब उसने वैधानिक कट्टरवादी और आर्थिक सुधारो का विरोधी गीजो को प्रधानमंत्री बनाया. जिसकी नीतियों ने फ्रांसीसी जनमानस में भूचाल ला दिया. स्वयं लुई फिलिप के पास न तो कोई सुधार योजना थी और न ही कोई विदेश निति . नतीजा यह हुआ की लुई सोलहवाँ के नेतृत्व में जबरदस्त आन्दोलन का दौर शुरू हुआ परिणाम स्वरूप लुई फिलिप को गद्दी त्यागनी पड़ी.

प्रश्न 2. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?

उत्तर- इटली एवं जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया मुख्य रूप से रोड़ा था. क्योकि एक तो उसने कुछ क्षेत्रो पर अधिकार कर लिया और दुसरे एकीकरण के लिए चल रहे आंदोलन को कुचल दिया. इसी कारण इटली एवं जर्मनी ने एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए ऑस्ट्रिया को पराजित करने का निर्णय लिया.

प्रश्न 3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फ़ैलाने में नेपोलियनबोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ?

उत्तर- फ़्रांस की अस्त-व्यस्त राजनीती में नेपोलियन बोनापार्ट का उदय चमकते सितारे कर रूप में हुआ . नेपोलियन ने फ़्रांस की राजनीती को जन-जन तक पहुँचाया. जब वह यूरोप के कई राज्यों में अपना आक्रमण और अभियान शुरू किया तो फ्रांसीसी अधिपत्य के विरुद्ध वहाँ के लोगो में राष्ट्रिय भावना जगी.

प्रश्न 4. गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करे.

उत्तर- गैरीबाल्डी एक महान योद्धा था जो इटली का एकीकरण चाहता था. उसने सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण करके वहाँ की जनता का समर्थन पाया. इसके अतिरिक्त उसके दक्षिणी के जीते हुए क्षेत्रो को विन्टर इमैनुएल को सौप दिया और अपनी संपति राष्ट्र के नाम कर साधारण किसान की जीवन वितायी.

प्रश्न 5. विलियम 1 के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था-कैसे ?

उत्तर- जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की महत्वपूर्ण भूमिका को बेशक नाकारा नहीं जा सकता. परन्तु विलियम प्रथम ने ही विस्मार्क को प्रशा का प्रधानमंत्री बनाया था. खुद विलियम एक महान राष्ट्रवादी था. जिसने राष्ट्रवादी विचारो को फ़ैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. परिणाम स्वरूप एकीकरण का रह आसान हुआ.

दीर्घ उत्तरीयप्रश्न:- ( लघभग 150 शब्दों में उत्तर दे)

प्रश्न 1. इटली के एकीकरण में मेजिनी काबूर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बतावें .

उत्तर- इटली का एकीकरण न तो अचानक हुआ और न ही किसी एक व्यक्ति के प्रयास से हुआ बल्कि इसके एकीकरण में मेजिनी का उत्साह, काउनट काबूर की कूटनीति और गैरीबाल्डी का पराक्रम और त्याग शामिल था.

गणतांत्रिक विचारो का समर्थक मेजिनी ने सम्पूर्ण इटली में राष्ट्रवादी भावना फैलाकर सार्डिनिया और पीडमाउंट के साथ इटली का एकीकरण करने का प्रयास किया . परन्तु ऑस्ट्रिया से हारने के बाद पलायन कर गया .

सार्डिनिया का शासक विक्टर इमैनुअल ने महान कूटनीतिज्ञ काउंट काबूर को प्रधानमंत्री नियुक्त किया. उसने फ़्रांस से दोस्ती कर ऑस्ट्रिया को पराजित किया और पराक्रम के बल पर रोम को छोड़कर अन्य क्षेत्रो को जित कर मिला लिया

सशस्त्र क्रांति का पक्षधर गैरीबाल्डी ने सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया और दक्षिणी इटली को जीत कर विक्टर इमैनुअल को सौप दिया. जिससे इटली का एकीकरण आसान हो गया. बाद में सामूहिक प्रयास से रोम को जीतकर इटली का एकीकरण पूर्ण कर लिया गया.

प्रश्न 2. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें.

उत्तर- बिस्मार्क एक सफल कूटनीतिज्ञ और गुप्तसंधियो का जन्मदाता तो था ही, साथ ही साथ रक्त और लौह नीति का भी समर्थक था. उसने अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेना लागु करके इसका परिचय भी दिया . बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण के लिए निम्नलिखित तीन महत्वपूर्ण युद्ध करने पड़े.

  1. डेनमार्क से युद्ध- 1864 में ऑस्ट्रिया की सहायता से डेनमार्क को पराजित कर शेल्जविंग प्राप्त किया और होलस्टीन ऑस्ट्रिया को दिया
  2. ऑस्ट्रेलिया से युद्ध- 1866 में विस्मार्क ने ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर दी ताकि ऑस्ट्रिया विस्मार्क से युद्ध करे और हुआ भी यही. ऑस्ट्रिया युद्ध में पराजित हुआ और विस्मार्क ने उसके प्रभाव वाले क्षेत्र को ले लिया .
  3. फ़्रांस से युद्ध- 1870 में फ़्रांस ने जर्मनी के खिलाफ सेडॉन का युद्ध किया जिसमे फ़्रांस बुरी तरह से पराजित हुआ और जर्मन क्षेत्रो को उसे छोड़ना पड़ा

इस प्रकार जर्मनी का एकीकरण विस्मार्क के सफल कूटनीति का परिणाम था.

प्रश्न. 3. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभाव की चर्चा करें.

उत्तर- राष्ट्रवाद एक ऐसा भावना है जो किसी भौगोलिक, संस्कृति या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगो में एकता की वाहक होती है. जहाँ तक इसके उदय का सवाल है तो इसके उदय के पुष्प पुनर्जागरण काल से ही खिलाफ शुरू हो गये थे. फ्रांसीसी क्रन्तिती ने इसका पोषण किया और नेपोलियन बोनापार्ट के क्रिया कलापों ने इसे यूरोप में फैला दिया परिणाम स्वरूप समूचा यूरोप राष्ट्रवादी भावना से नहा उठा.

राष्ट्रवाद के प्रभाव से यूरोपीय राष्ट्रों में राजनीति के क्षेत्र में उथल-पुथल शुरू हुआ. अनेक राष्ट्रों जैसे बोहेमिया, हंगरी और यूनान में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर दौड़ पड़ी. अनेक देशो का भी उदय हुआ. इस प्रकार राष्ट्रवाद ने यूरोप को एक नया आयाम दिया.

प्रश्न 4. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें.

उत्तर- कोई क्रांति अचानक नहीं होती बल्कि यह जन असंतोष का ही परिणाम होता है. जुलाई 1830 की फ्रांसीसी क्रांति भी इस नियम का अपवाद नहीं था. इसके निन्लिखित कारण थे-

  1. राजा की निरंकुशता – चार्ल्स दशम निरंकुशता का परिचय देते हुए जनतंत्रवादी भावनाओ को दबाने का कार्य किया जिसका जनता में असंतोष की लहर दौड़ गई.
  2. पोलिगनेक का प्रधानमंत्री बनना- पोलिग्नेक एक घोर प्रतिक्रियावादी प्रधानमंत्री था जिसने नागरिक संहिता के स्थान पर अभिजात वर्ग की स्थापना की. परिणाम स्वरूप उदारवादी और प्रतिनिधि सदन सदस्य असंतुष्ट हो हए.
  3. चार्ल्स दसम द्वारा जारी अध्यादेश- पोलिगनेक की नीतियों का समर्थन करते हुए चार्ल्स दसम X ने अध्यादेशो को पोलिग्नेक की नीतियों पर मुहर लगाने से पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई और यह जुलाई 1830 की क्रांति का तात्कालिक कारण बन गया.

प्रश्न 5. यूनानी स्वतंत्रता आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण दें .

उत्तर- विश्व इतिहास के प्रांगण में यूनान को एक सम्भार राष्ट्र का दर्जा मिला है जो अपनी संस्कृति और समृद्ध के पुष्प खिलाफत पुरे दुनिया में सुर्खिया बिखेरा है परन्तु परिस्थितियाँ करवट बदली और यह तुर्की के अधीन आ गया.

भला हो उस फ्रांसीसी क्रांति का जिसने यूनान में राष्ट्रवाद का जन-जन के ह्रदय की आवाज बना दिया हितेरिया फिलाइक नामक संस्था की स्थापना हुई और स्वतंत्रता आन्दोलन पराकाष्ट पर पहुँच गया. परन्तु तुर्की भी चुप नहीं बैठा. उसने आंदोलनों को कुचलने में वह संभव प्रयास किया जो वो कर सकता था.

तुर्की का यह कदम रूस और फ़्रांस को यूनान के पक्ष में कर दिया मिश्र तुर्की के पक्ष में आ गया. भयंकर युद्ध हुआ परन्तु तुर्की को मुँह की खानी पड़ी और कुछ कठिन प्रयासों के बाद 1832 में यूनान को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिल गया.

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