Bihar Board Class 10 Hindi पध Chapter 11 लौटकर आऊँगा फिर Solution Notes

इसमें हम जानेगे गोधूली भाग-2 किताब के अध्याय 11 का लेखक जीवनानंद दास द्वारा लिखित कविता लौटकर आऊँगा फिर  के बारे में यहाँ हम पधभाग पाठ 11 के सभी प्रश्नों के हल को जानेगे BSEB Book Solution, text Book Question And Answer, Summary, Notes, bihar board class 10th hindi, class 10 hindi padhbhag, lautkar aaunga phir , NCERT Hindi book solution, class 10th lautkar aaunga phir, class 10 will come back again

शीर्षक- लौटकर आऊँगा फिर 

पाठ – 11 

लेखक – जीवनानंद दास 

Bihar Board Class 10 Hindi पधभाग Lesson 11 लौटकर आऊँगा फिर Solution Notes pdf

प्रश्न. लौटकर आऊँगा फिर  के लेखक कौन है ?

उत्तर– लौटकर आऊँगा फिर  के लेखक जीवनानंद दास है

कविता के साथ:- 

प्रश्न 1. कवि किस तरह के बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात करता है ?

उत्तर– कवि जीवनानंद दास को अपनी जन्म भूमि से बेहद लगाव है . वे बंगाल की प्राकृतिक सुषमा बहती हुई नदियों और उसके किनारे लहलहाती फसलो पर इस्तना सुगंध है कि वे दुबारा जन्म लेकर इसी बंगाल की धरती पर आना चाहते है .

प्रश्न 2. कवि अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है और क्यों ?

उत्तर– कवि जीवनानंद दास को अबविल का उड़ना, कौए के भोर में राग अलापना, हंसो का तैरना , शाम में उल्लू का उड़ना बेहद पसंद है अतः कवि अपने अगले जीवन ले अबविल कौआ , उल्लू, सारस आदि बनने की संभावना व्यक्त करता है .

प्रश्न 3. अगले जन्मो में बंगाल में आने की क्या सिर्फ कवि की इक्छा है ? स्पष्ट करे.

उत्तर– किसी रचना की उत्कृष्टा इस बात में निहित होती है की वह केवल रचनाकार की इच्छा न रहकर आम आदमी की इच्छा -आकांक्षा और सपनो का प्रतिनिधि हो कवि बंगाल की नैसग्रिकता के साथ -साथ वहाँ के आम-जीवन की भावना को व्यक्त करते है अतः बंगाल में जन्म लेने की इच्छा केवल कवि की इच्छा न होकर मातृभूमि के प्रति प्रेम रखने वाले आम लोगों की इच्छा है .

प्रश्न 4. कवि किनके बीच अँधेरे में होने की बात करता है ? आशय स्पष्ट कीजिए .

उत्तर– शाम के रंगीन बदलो के बीच सरसों के उड़ने का सौन्दर्य कवि के ह्रदय के सुने सागर में रोमांस की लहरे पैदा कर रहा है . इसी कारण कवि अगले जन्म में उन्ही रंगीन बदलो के बीच सरसों में से एक बनना चाहता है .

प्रश्न 5. कविता की चित्रात्मकता पर प्रकाश डालिए .

उत्तर– जीवनानंद दास द्वारा रचित कविता ‘लौटकर आऊँगा फिर’ में बंगाल की नैसग्रिक सौन्दर्य बहती नदियों, लहराते खेतो और उसमे उड़ते अबाविल कटहल की छाया में उड़ते कौआ, पानी में तैरते हँस, पाल के सहारे चलता नाव, रंगीन बदलो के बीच उड़ते सारस आदि का कवि ने इतना सजीव चित्रण किया है की ये सहज ही ह्रदयगम हो जाते है और मानस पटल पर इसके चित्र उभरते है .

प्रश्न 6. कविता की शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए?

उत्तर– कवि जीवनानंद दास को अपनी मातृभूमि से बेहद लगाव है वे बंगाल की प्राकृति सुषमा सभ्यता और संस्कृति पर इतने मुग्ध है कि वे किसी न किसी रूप में चिरकाल तक बंगाल में ही रहना चाहते है . बार-बार जन्म लेकर वे बंगाल में ही रहे ह्याही कविता का भाव है . जिससे इर्द-गिर्द सभी शब्द और चित्र घूम रहे है . अतः कविता की सार्थकता और उपयुक्त है .

प्रश्न 7. कवि में आए बिंबो की सौंदर्य स्पष्ट कीजिए .

उत्तर– कवि जीवनानंद दास रचित कविता के प्रत्येक शब्द को कवि को मातृभूमि भक्त होने का संदेश देता है उन्होंने इस विभिन्न बिंबो के माध्यम से प्रकट किया है . बहती नदियों की धारा कवि के अंतर्मन को छटी है . धनहर खेत की हरियाली ह्रदय को हरा कर देती है . स्वतंत्र तैरते हंस कवि को उन्मुक्त बनाते है . दृश्य सपनो के सौन्दर्य का साकार होने जैसा है इस प्रकार कवि ने बिंबो का बड़ा ही सजीव चित्रण किया है .

प्रश्न 8. कवि अगले जन्म में अपने मनुष्य होने में क्यों संदेह करता है ? क्या कारण हो सकता है ?

उत्तर– कवि जीवनानंददास जी ने मानव जीवन को बड़े ही गहराई से अध्ययन करते हुए पाया है कि मानव जीवन अवसादो से भरा है जिसमे इर्ष्या , दोष, स्वार्थ आदि है इनमे कही अधिक सुंदर पशु पंक्षियों का जीवन है जो बिलकुल प्राकृतिक है . मानव में पुनर्जन्म का सूचक नहीं है . ऐसा कवि का मानना है . इसी कारण अगले जन्म में अपने मनुष्य होने के बारे में संदेह करता है .

प्रश्न 9. व्याख्या करें :-

(क) “बनकर शायद हंस मै किसी किशोरी का , घुंघरू लाल पैरो में, तैरता रहूँगा बस दिन-दिन भर पानी में गांधी जहाँ होगी ही भरी , घास की “

उत्तर– प्रस्तुत पधांश जीवनानंद द्वारा रचित कविता “लौटकर आऊँगा फिर” जिसमे कवि ने राष्ट्र प्रेम का सजीव चित्रण हँस के रूप में जन्म लेकर बंगाल में ही रहने के रूप में किया है . वह हँस बनकर किशोरी के घुंघरू की तरह उन्माद फैलाना चाहता है . वह तैरकर सर्वत्र सुगंध फैलाना चाहता है . वस्तुतः कवि स्वच्छंद जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है .

(ख) ” खेत है जहाँ धान के बहती नदी के किनारे फिर आऊँगा लौटकर एक दिन बंगाल में “

उत्तर– प्रस्तुत पधांश जीवनानंद द्वारा रचित कविता “लौटकर आऊँगा फिर” जिसमे कवि ने बंगाल के प्रति अपने समपूर्ण भाव को व्यक्त करते हुए कहा है की वह धान के लहलहाते फसलो और बहती नदियों के बीच ही रहना चाहता है . यह कवि के राष्ट्र प्रेम को दर्शाता है .


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आज हमने जाना अध्याय 11 का लेखक जीवनानंद दास द्वारा लिखित कविता लौटकर आऊँगा फिर  के बारे, आशा करता हूँ की आज का पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा .

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