Bihar Board Class 10 Hindi पधभाग रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित कविता जनतंत्र का जन्म के बारे में जहाँ हम गोधूली भाग-2 किताब के पधभाग के पाठ 6 के सभी प्रश्नों के हल को जानेगे और सीखेंगे . तो चलिए जानते है
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हिंदी पधभाग अध्याय – 6
लेखक – रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह का जन्म- 23 सितंबर 1908 ई० से 24 अप्रैल 1974 ई० तक
Bihar Board Class 10 Hindi काव्यखंड Chapter 6 जनतंत्र का जन्म Solution Notes pdf
प्रश्न. जनतंत्र का जन्म के लेखक कौन है ?
उत्तर– जनतंत्र का जन्म का लेखक रामधारी सिंह दिनकर है .
प्रश्न रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर– राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई० में सिमरिया, बेगुसराय ( बिहार) में हुआ और इनका निधन 24 अप्रैल 1974 ई० में हुआ था .
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कविता से साथ:-
प्रश्न 1. कवि के दृष्टि में समय-समय के रथ का घर्घर नाद क्या है ? स्पष्ट करें .
उत्तर– राष्ट्रकवि दिनकर ने स्वरचित कविता जनतंत्र का जन्म के माध्यम से बताया है कि समय के रथ का घर्घर नाद हो रहा है अर्थात वर्षो में दलित और शोषित जनता अब राजतंत्र या तानाशाही को उखाड़ फेकना चाहती है . अब जनता आत्याचारो को सहन नहीं करेंगी .
प्रश्न 2. कविता के आरंभ में कवि भारतीय जनता का वर्णन किस रूप में करता है ?
उत्तर– राष्ट्र कवि दिनकर ने आरंभ में जनता की भोली-भाली तस्वीर प्रस्तुत करते हुए कहा है की जनता सदियों से अत्याचार को सहने वाली हर यातना को बरदाश्त करने वाली, कोरों के वेदना को सहने वाली है . वह मिट्टी की अबोध मूरत से बढकर कुछ भी नहीं है .
प्रश्न 3. कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुही बच्ची की तरह है और क्यों कवि को क्या कहकर उनको प्रतिवाद करता है ?
उत्तर– राष्ट्रकवि दिनकर के अनुसार भोली-भाली जनता देश के नेता या सत्ताधारी लोगों के नजर में फूल या दुधमुहीं बच्ची की तरह है . परंतु कवि यह कहकर उनका प्रतिवाद करता है की जब जनता के बरदाश्त की आखिरी इम्तहाँ हो जाती है तो वर्षो से दबे विरोध की शोलो की रूप में भड़ककर अत्याचारी शासको को जलाकर खाक कर देती है तथा जनता की आवाज से ही सिंहासन खाली कर देना पड़ता है .
प्रश्न 4. कवि जनता के स्वपन का किस तरह चित्र खिचता है ?
उत्तर-राष्ट्रकवि दिनकर ने कविता में जनता का स्वपन का चित्र बड़े ही यथार्थ रूप से खींचते हुए कहा है की जनता अब गुलामी के अंधकार से मुक्त होकर स्वतंत्रता के सुबह में आपना राज्यभिषेक करा रही है . सीना गर्व से फूलकर अलौकिक सुख का अनुभव कर रहा है . चारो तरफ आँखों में जनतंत्र का खुशनुमा प्रतिबिंब झलक रहा है .
प्रश्न 5. विराट जनतंत्र का स्वरूप क्या है ? कवि किनके सीर पर मुकुट धरने की बात करता है और क्यों .
उत्तर- राष्ट्रकवि दिनकर के अनुसार तत्कलीन समय के तैतीस करोड़ जनता का शासन ही विराट जनता का स्वरूप है . कवि के अनुसार दलित और शोषित इस जनता के लिए ही अब सिंहासन तैयार करना है क्योंकि त्याग और बलिदान की मिसाल पेश करने वाली यह जनता ही अब मुकुट पहनने की हकदार है .
प्रश्न 6. कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन है और वे कहाँ मिलेंगे ?
उत्तर– राष्ट्रकवि दिनकर के अनुसार देश को समृद्ध बना सकने अली गरीब और परिश्रमी जनता ही आज के देवता है . ये न तो मंदिर, न तहखाना, न मस्जिद आदि में मिलते है बल्कि ये तो कही सडको पर मिट्टी तोड़ते हुए मिल जाएंगे या खेतो तथा खलिहानों में मेहनत करते हुए सुलभ रूप से मिल जाएंगे.
प्रश्न 7. कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट करें .
उत्तर– राष्ट्रकवि दिनकर ने स्वरचित कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ के माध्यम से देश के क्रूर नेताओ और भोली-भाली जनता पर अत्याचार करने वाले शासको पर करारा तमाचा जड़ा है . वस्तुतः कवि का उदेश्य शोषक और शोषितो का असली चेहरा दिखाना है . कवि जनतंत्र को सर्वोतम शासन प्रणाली मानता है .
वह कहता है कि शोषित जनता जब जाग जाती है तो इसकी आंधी में शोषको के महल रेत की महल की तरह भरभराकर गिर जाते है और उसके अवशेष पर जनतंत्र का महल खड़ा होता जिससे हर तरफ अमन-चैन और खुशहाल जिन्दगी दिखाई देती है . अतः कविता का मूल भाव यही है की नेताओं और अत्याचारी शासको को आगाह करना और जन-जन के रोम-रोम में जनतंत्र की भावना भरना क्योंकि जनता अब अपनी ताकत पहचान चुकी है . उसमे साहस भी आ गया है . अच्छा होगा कि शासक स्वयं सिंहासन खाली कर दें.
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प्रश्न 8. व्याख्या करें :-
(क) सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है .
उत्तर-प्रस्तुत पधांश राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से लिया गया है जिसमे कवि ने जनता के जागरूक हो जाने की बात करते हुए कहा है कि सदियों से शोषित जनता की आवाज ठंडी-बुझी राख के समान थी जिससे अब चिनगारी निकलकर शोषित को भस्म कर रही है और जनता सिंहासन पर आरूढ़ होकर ताज पहनने के लिए इठला रही है .
(ख) हुँकारों से महलो का नीव उखड जाती , सासों के बल से ताज हवा में उड़ता है , जनता के रोके राह समय में ताव कहाँ . वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है .
उत्तर– प्रस्तुत पधांश राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से लिया गया है जिसमे कवि ने जनता की ताकत को दर्शाते हुए कहा है कि अब जनता की आवाज की झोकों से शासकों का शासन महल ढह रहा है . केवल सांसो की हवा से ताज उड़ रहा है . अब समय या काल भी जनता की राह को नहीं रोक सकते . क्योकि जनता अब अपनी ताकत पहचान चुकी है .
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आज हमने जाना Bihar Board Class 10 Hindi पधभाग रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित कविता जनतंत्र का जन्म के बारे , आशा करता हूँ कीआपके लिए ये नोट्स लाभकारी होगी. अगर इस पाठ से कोई भी doubt हो तो आप हमे बेझिझक कमेंट द्वारा पूछ सकते है.
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