Bihar Board Hindi Class 10 काव्य्खंड Chapter 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ Notes

घनानंद द्वारा लिखित अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ के बारे में जहाँ हम इस पाठ से जुडी सभी सवालों को हल करेंगे जैसे की अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहि लै बरसौ के लेखक कौन है ?, घनानंद कौन है?, आदी सभी objective और subjective सवालों को देखेंगे , तो चलिए इसे हल करते है .

Bihar Board Class 10 Hindi पधभाग  lesson 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ Notes pdf

प्रश्न. अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहि लै बरसौ के लेखक कौन है ?

उत्तर– अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ के लेखक घनानंद है .

प्रश्न. कवि घनानंद का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर– रितियुगिन काव्य में घनानंद रीतिमुक्त काव्यधारा के सिरमौर कवि है . इनका जन्म 1689 ई० के आस-पास हुआ और 1739 ई० में वे नादिरशाह के सौनिको द्वारा मरे गये .

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कविता के साथ :- 

प्रश्न 1. कवि प्रेममार्ग को ‘अति सूधो’ क्यों कहता है ? इस मार्ग की विशेषता क्या है ?

उत्तर– रीती मुक्त काव्य धारा के सिरमौर कवि घनानंद ने प्रेम मार्ग को ‘अति सूधो’ से विभूषित किया है क्योंकी इसकी विशेषता यह है की इसमें थोडा सा चतुराई या टेढ़ापन नहीं है . इस मार्ग पर सच्चे ह्रदय वाले ही चलकर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है .

प्रश्न 2. ‘मन लेहु पै देहु छटांक नहीं; से कवि का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर– प्रस्तुत पधांश से एक तरफ प्रेम करने वाले कवि घनानंद के दिल से अपनी प्रेमिका सुजान को अपना सब कुछ दे दिया परन्तु उसने कवि को छवि तक नहीं दिखाई.

प्रश्न 3. द्वितीय छंद किसे संबोधित है और क्यों ?

उत्तर-विरक्त कवि ने अपने द्वितीय छंद “मो अँसुवानिहिं लै बरसौ” में बादल को संबोधित किया है क्योकि कवि अपनी प्रेम विरह के आँसु को अपनी प्रेमिका सुजान के पास पहुँचाना चाहता है . वह बादल को परोकारी बताते हुए उससे विनती करता है की वह उसके आँसू को लेकर सुजान के आँगन में बरसा दे ताकि उन्हें दिल का हल का पता लग जाए.

प्रश्न 4. परहित के लिए ही देह कौन धारण करता है ? स्पष्ट कीजिए.

उत्तर– इस लोक में दुसरो के कल्याण करने वाले लोगो में सज्जन ही होते है यह देह इसी उदेश्य से धारण करते है . दुसरो को सुख पहुँचाकर ही उन्हें परम तृप्ति मिलती है . बादल भी परोपकार कर अपनी सज्जनता को दिखाता है .

प्रश्न 5. कवि कहाँ अपने आँसुओ को पहुँचाना चाहता है और क्यों ?

उत्तर-कवि घनानंद प्रेम विरह में तप रहे है और उनके आँखों से आंशुओ का सैलाब उभर रहा है परंतु उनकी प्रेमिका इन बातो अंजान अपने घर में बैठी है . इसलिए कवि अपने आंशुओ को आपने प्रियतमा के घर पहुँचाना चाहता है ताकि वे कवि से मिले और उसका दर्द कम हो जाए.

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प्रश्न 6. व्याख्या करें :-

(क) यहाँ तक तै दुसरौ आँक नहीं

उत्तर- प्रस्तुत पधांश घनानंद द्वारा रचित “अति सूधो सनेह को मारग है“से ली गई है . जिसमे कवि अपनी प्रेमिका सुजान को यह विश्वास दिलाना चाहता है की उनके दिल में सुजान के अतिरिक्त किसी का स्धान नहीं है . वे सिर्फ और सिर्फ अपनी प्रियतमा से प्रेम करते है .

(ख) कछू मेरियौ पीर हिएं परसौ

उत्तर– प्रस्तुत पधांश घनानंद द्वारा रचित “मो अँसुवानिहिं लै बरसौ” से ली गई है . जिसमे कवि की विरह की व्यथा प्रकट होती है . कवि की प्रियतमा कवि की पीड़ा से अनजान बैठी है . परंतु कवि अपनी पीड़ा का किसी भी प्रकार से अपनी प्रियतमा के पास पहुँचना चाहता है . इसके लिए परोपकारी बादल से आग्रह करता है की उनके आँसुओ को लेकर सुजान के आँगन में बरसा दे.


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पाठ -1 (कव्य्खंड) राम बिनु बिरथे जगी जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै

पाठ -2 (कव्य्खंड) प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वरौ

> पाठ -1 श्रम विभाजन और जाती प्रथा

>पाठ – 2 विष के दांत

>पाठ -3 भारत से हम क्या सीखें

>पाठ 4- नाखून क्यों बढ़ते है

>पाठ -5 नागरी लिपी

>पाठ -6 बहादुर

>पाठ -7 परंपरा का मूल्यांकन 

>पाठ -8 जित जित मैं निखरत हूँ

>पाठ -9 आविन्यों (ललित रचना)

>पाठ -10 मछली (कहानी)

>पाठ -11 नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र)

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शब्दार्थ

नेकु : तनिक भी

सयानप : चतुराई

बाँक : टेढ़ापन

आपन पौ : अहंकार, अभिमान

झुझुकै : झिझकते है

निसांक : शंकामुक्त

आँक : अंक, चिन्ह

परजन्य :  बादल

सुधा : अमृत

सरसौ : रस बरसाओ

परसौ : स्पर्श करो

बिसासी : विश्वासी

मन : माप-तौल का एक पैमाना

छटांक : माप-तौल का एक छोटा पैमाना

आज हमने जाना घनानंद द्वारा लिखित कविता  अति सूधो सनेह को मारग है, मो अँसुवानिहिं लै बरसौ के बारे में जहाँ हम इस पाठ से जुडी सभी सवालों का हल देख चुके है. मै आशा करता हूँ की यह आपके लिए लाभकारी होगा . इससे कोई भी doubt हो तो आप आमे बेझिझक कमेंट के द्वारा पूछ सकते है .

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