NCERT chapter 9 Class 10th Hindi गध आविन्यों (ललित रचना) solution Notes

इसमें हम जानेगे अशोक वाजपेयी द्वारा रचित आविन्यों (ललित रचना) के बारे में जिसमे हम जानेगे की आविन्यो के लेखक कौन है ?, आविन्यो क्या है?, bihar board 10th hindi solutions, 10th ka hindi,  BSEB Class10th गोधूलि भाग -2, NCERT Hindi Notes, 10th ka hindi  आदि सभी book के प्रश्नों को हल करेंगे  तो चलिए जानते है .

Bihar Board class 10  गधभाग Lesson 9 आविन्यों (ललित रचना) solution pdf Notes

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प्रश्न आविन्यो के लेखक कौन है ?

उत्तर-आविन्यो के लेखक अशोक वाजपेयी है.

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प्रश्न 1. आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ?

उत्तर– अविन्यों फ़्रांस का एक इसाई मठ होने के साथ-साथ एक कला केंद्र भी है . यह दक्षिण फ़्रांस के सोन नदी पर है .

प्रश्न 2. हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?

उत्तर– प्रत्येक वर्ष आविन्यो में गर्मी के दिनों में फ़्रांस और यूरोप का रंग समारोह हुआ करता है .

प्रश्न 3. लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे ? वहाँ उन्होंने क्या देखा-सुना ?

उत्तर– पिटर ब्रुक द्वारा लिखित महाभारत की भव्य प्रस्तुती आविन्यों में होने वाली थी . इसमें शामिल होने के लिए लेखक अशोक वाजपेयी को निमंत्रण मिला था . इसलिए लेखक वहाँ गया था

अविन्यों के चर्च स्थल रंग-स्थल में बदल चुके थे जो लेखक को बहुत भाया . महाभारत की भव्य प्रस्तुती आविन्यों से कुछ किलोमीटर दूर पत्थरों की एक खदान में हुयी जिससे देखकर लेखक बहुत रोमांचित हुआ.

प्रश्न 4. ला शत्रुज क्या हैं और वह कहाँ अवस्थित है ? आज कल उसका क्या उपयोग होता है ?

उत्तर– ला शत्रूज कथुर्सियाँ सम्प्रदाय का एक मठ है जो आविन्यों के एक नए गाँव विलनव्व के किले में उपस्थित है . आजकल यह स्रमाक के रूप में है जिसका उपयोग रंगमंच और कला केंद्र के रूप में होता है .

प्रश्न 5. ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ क्यों कहा है ?

उत्तर– ला शत्रूज आविन्यों में स्थित कर्थुसियन सम्प्रदाय का मठ है जो आज कला और स्मारक है . वहाँ रंग कर्मी रंग , संगीतकार, अभिनेता नाटक कर आदि आते है और अपना समय रचनात्मक कार्यो में विताते है . यह दो-दो कमरों के चैम्बर से सुसज्जित है . उसमे फर्नीचर चौदहवी सदी जैसा है . यहाँ आधुनिक रसोईघर और नहान घर है . एक अत्याधुनिक संगीत व्यवस्था भी है चैम्बरो के मुख्य द्वारा कब्रगाह के चारो ओर बने गलियारों में खुलते है. पीछे आँगन भी है और एक दरवाजा भी है . सप्ताह के पांच दिनों में शाम को सबको एक साथ पर भोजन करने की व्यवस्था है . यह एक बेहद शांत स्थान है

14वीं सदी में फ्रेंच क्रांति तक ला शत्रूज का धार्मिक उपयोग होता है . कर्थुसियाँ सम्प्रदाय का मठ बना . यह सम्प्रदाय मौन में विश्वास करता है. इसी कारण लेखक उसके स्थापत्य को मौन का स्थापत्य कहता है .

प्रश्न 6. लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गये थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे ? लेखक की उपलब्धि क्या रही ?

उत्तर– अशोक वाजपेयी आविन्यों में 24 अक्टूबर 1994 से 10 नवम्बर 1994 तक अर्थात कुल 19 दिनों तक रहे . वे अपने साथ हिंदी के टाइप रायटर्स तीन चार पुस्तके और कुछ संगीत के टेप्स ले गये थे वहाँ उन्होंने पैतीस कविताए और सताईस गध रचनाए की .

प्रश्न 7. ‘प्रतीक्षा करते है पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है ?

उत्तर– आविन्यों के पत्थर का मानवीकरण करने के क्रम में लेखक कहते है की वे पत्थर इस प्रकार शांत है मनो किसी की प्रतीक्षा कर रहें है . उनके ह्रदय में भी सपने, प्राथना , कामना आदि की भावनाओं का एहसास होता है जो किसी मानव में भी होता है .

प्रश्न 8. आविन्यों के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते है ?

उत्तर– वाजपेयी जी आविन्यों में 19 दिन विताकर अपने जीवन के अनुभावों में एक नया अनुभव जोड़ा वहाँ की शांति लेखक को भा गया . वे वहाँ कम दिनों में ही उतनी रचनाएँ लिख डाली जो शायद लेखक वर्षों में नहीं कर पाते . इन्ही कारणों से लेखक ने आविन्यों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अपना सम्मान प्रदर्शित किया है.

प्रश्न 9. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?

उत्तर– वाजपेयी जी आविन्यों के पत्थर का मानवीकरण करते हुए उनके और मनुष्य के बीच समानताओ के साथ-साथ कुछ विषमताओ का भी उल्लेख किया है . दोनों में समानता यह है की वे दोनों प्रतीक्षारत, कमवारत , सपने देखने वाले और दुख:सुख का अनुभव करने वाले है. परंतु विषमताए है कि मानव की तरह पत्थर न बोल सकता है न झुक कर प्रार्थनाए कर सकता है. उसकी हर क्रिया कलाप मौन ही है .

प्रश्न 10. इस कविता से आप क्या सीखते है ?

उत्तर– अशोक वाजपेयी रचित आविन्यों में एक संशलिष्ट रचना धर्मता की अंतरंग झलक है जिसमे लेखक ने छिपे हुए अर्थो में जीवन के मूल्यों को उजागर करते हुए सन्देश दिया है , जो हमे सिखा देती है शांत स्वभाव से कामनारत प्रतीक्षारत होना चाहिए रचनात्मक सपने भी होने चाहिए तथा उनके साकार करने की दृढ़ता भी होनी चाहिए.

प्रश्न 11. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?

उत्तर– वाजपेयी जी नदी के तट पर बैठकर एक अलग भाव महसूस करते है . उन्हें लगता है कि नदी के जल प्रवाह को एक तक देखते रहते पर लगता है की जल स्थिर है और तट ही बह रहा है तथा नदी के तट पर बैठना नदी के साथ बहने जैसा है . कविताए भी नदी के समान है.

प्रश्न 12. नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ?

उत्तर– नदी के तट पर वाजपेयी जी को प्रसिद्ध कवि विनोद कुमार शुक्ल जी की याद आती है . क्योकि लेखक की तरह उनका विचार था कि नदी के तट पर बैठने वाले लोग नदी चेहरा हो जाता है ऐसा विनोद जी ने अपनी कविता नदी चेहरा लोगो में उल्लेख किया है.

प्रश्न 13. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पता है ?

उत्तर– लेखक वाजपेयी जी ने नदी और कविता में समानता बतलाने के लिए कहा है कि नदी कभी जल शून्य नहीं होती और विभिन्न स्रोतों से जल आकर इसमें मिलन हो जाती है उसी प्रकार कविता भी शब्द शून्य नहीं होती और विभिन्न स्रोतों से शब्द भावनाए चित्र और छविया इसमें विलीन होकर जीवित हो जाती है .

प्रश्न 14. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पता और क्यों ?

उत्तर- वाजपेयी जी के साथ नदी और कविता के पास तटस्थ रहना संभव नहीं है क्योकि उनके हर क्रिया कलाप और भाव भंगिमाओ का हमपर सीधा प्रभाव पड़ता है और हम अछूते नहीं रह पाते.


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इसमें हमने जाना अशोक वाजपेयी द्वारा रचित आविन्यों (ललित रचना), NCERT Hindi Notes के बारे में आशा करता हु की आपको आज का पोस्ट अच्छा लगा होगा.

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