BSEB class 10 Hindi गध Chapter 11 नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) solution Notes

यतीन्द्र मिश्र द्वारा लिखित नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) के बारे में , जहाँ हम जानेंगे की नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) का लेखक कौन है ?, नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) का सारांश का है ? पाठ 11 हिंदी का सभी प्रश्न और उत्तर, गोधूली भाग-2, hindi ncert solutions class 10, Bihar Board claas 10 hindi lesson 11, 10th ka hindi आदि ईससे सभी जुड़े सवालों का हल करेंगे तो चलिए जानते है .

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प्रश्न. नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) के लेखक कौन है

उत्तर- नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) पाठ के लेखक यतीन्द्र मिश्र है. इनका जन्म सन 1977 में अयोध्या, उत्तरप्रदेश में हुआ .

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प्रश्न 1. डुमरॉव की महत्ता किस कारण से है ?

उत्तर– विश्व प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिला खां का जन्म डुमरॉव में हुआ था यहाँ के आस-पास की नदियों के कछरो में पाई जाने वाली मरकट से शहनाई बाध की डोर भी बनता है इसी कारण डुमरॉव गाँव काफी महत्व है.

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प्रश्न 2. सुषिर वाध किन्हें कहते है . ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पति किस प्रकार हुई है ?

उत्तर– फूंककर बजाए जाने वाले वधो को सुषिर कहते है . अरब देशो में बजाए जाने वाले वाध को नय बोला जाता है . जिसके पूर्व में शाह जुटकर शहनय अर्थात शहनाई बनकर प्रचलित हो गया .

प्रश्न 3. बिस्मिल्ला खां सजदे में किस चीज के लिए गिडगिडाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उदघाटित होता है ?

उत्तर-बिस्मिल्ला खां सजदे में खुद से एक शुर बक्श देने के लिए गिडगिडाते थे . उनकी हर नमाज में खुदा से यही मांग होती थी इससे संगीत के प्रति उनके गहरे अनुराग का पता चलता है साथ ही साथ संगीत और खुदा के प्रति समर्पण भाव की भी जानकारी होती है .

प्रश्न 4. मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खां के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें .

उत्तर– मुहर्रम पर्व में हजरत इमाम हुसैन और उनके वंशजो का शोक मनाया जाता है . बिस्मिल्ला खां आठवे दिन शहनाई बजाते है और दालमंडी में नौध बजाते है . खां साहब की आँखे उस दिन नम रहती है . इस परम्परा के पुनर्जीवित करने और बरकरार रखने में खां साहब का योगदान आवसारणिय है .

प्रश्न 5. ‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते है ?

उत्तर– कल्कलाते घी में कचौड़ी के डाले जाने पर उससे उठने वाली छन-छन की आवाज को बिस्मिल्ला खां संगीत के नाय देते है जिसमे उन्हें संगीत का अबरोह भी मौजूद लगता है . इसे ही संगीतमय कचौड़ी कहा जाता है .

प्रश्न 6. बिस्मिल्ला खां जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे ? इससे हमे क्या सिख मिलती है ?

उत्तर– बिस्मिल्ला खां जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तब वे काशी में विश्वनाथ उर बाला जी की ओर मुख करके शहनाई बजाते थे . इससे स्पष्ट होता है की वे सभी धर्मो के प्रति आस्था रखते थे.

प्रश्न 7. ‘बिस्मिल्ला खां का मतलब – बिस्मिल्ला खां की शहनाई .’ एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खां का परिचय पाठ के अधार पर दें .

उत्तर– बिस्मिल्ला खां एक प्रकार के शहनाई के प्रयास बन चुके थे इस क्षेत्र में उन्होंने महारत हासिल की. ऐसा लगता था की शहनाई उन्ही से शुरू होकर उन्ही पर समाप्त होती थी . उनके वाध को सुनने वाले अविभूत और वाशोभुत हो जाते थे , उन्होंने दुनिया को कला के प्रति समर्पण भाव सिखाया वे सभी धर्मो का आदर करते थे . शहनाईवाद भी सुनने पर बरबस ही होठो पर बिस्मिल्ला खां के नाम आ जाते है .

प्रश्न 8. आशय स्पष्ट करें:-

(क) फटा सुर न बख्शे . लुंगिया का क्या है , आज फटी है , तो कल सिल जाएगी .

उत्तर– प्रस्तुत गधांश यतीन्द्र मिश्र द्वारा रचित व्यक्ति चित्र नौबतखाने में इबादत पाठ से लिया गया है जिसमे लेखक एक सच्चे संगीत साधक के लिए अच्छा सुर होने की बात लेखक ने की है सच्चे संगीत साधक को कोई भौतिक सुख की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि वह केवल सुर की सीढियाँ चाहता है.

(ख) काशी संस्कृति की पाठशाला है .

उत्तर– प्रस्तुत गधांश यतीन्द्र मिश्र द्वारा रचित व्यक्ति चित्र नौबतखाने में इबादत पाठ से लिया गया है जिसमे लेखक ने काशी के संस्कृति महत्व को दर्शाते हुए कहा है की काशी में धर्म और संगीत का संयोग है . जिससे वह भारत की संस्कृति की पाठशाला है .

प्रश्न 9. बिस्मिल्ला खां के बचपन का वर्णन पाठ के अधार पर दें.

उत्तर– बिस्मिल्ला खां का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में एक बिहारी मुस्लिम के घर में हुआ था . बिस्मिल्लाह खां का बचपन का नाम कमरुदीन था इनके सबसे प्रिये शिष्य थे अमरुदीन .

बिस्मिल्ला खाँ की उम्र अभी 14 साल है । वही पुराना बालाजी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज के लिए जाना पड़ता है . मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का यह रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता है . इस रास्ते से अमीसदीत को जाना अच्छा लगता है . इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल-बनाव कभी ठुमरी, कभी कभी दादरा के मार्फत ड्योढी तक पहुँचते रहते हैं .

रसूलन और बतूलन जब गाती है अमीरूद्दीन को खुशी मिलती है. अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वीकार है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका मनकर हई है . एक प्रकार से उनकी अबोध उम्र में अनुभव की स्लेट पर मी वर्णमाला रसूलनबाई और बतूलनबाई ने उकेरी है.


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आज हमने जाना यतीन्द्र मिश्र द्वारा लिखित नौबतखाने में इबादत (व्यक्तिचित्र) के बारे में . आशा करता हु की आपको आज का पोस्ट अच्छा लगा होगा.

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