यहाँ हम जानेगे बिहार बोर्ड कक्षा 10 जीव विज्ञान अध्याय 1 जैव प्रक्रम objective नोट्स के बारे में, जहाँ हम जानेगे 10th class biology textbook, biology class 10 chapter 1, 10th class biology syllabus, class 10 biology notes, class 10 biology chapter 1, class 10 biology ncert, class 10 biology pdf, class 10 science notes pdf, 10th ssc science notes free download pdf, class 10 science notes hindi, class 10 science ncert solutions, 10th class Biology
Bihar Board Class 10 Science (Biology) Chapter 1 जैव प्रक्रम Soluton Notes pdf
जैव प्रक्रम Class 10 Science ncert Solution chapter 1 Part -2
पढ़े – जैव प्रक्रम Objective Solution Notes Part 1
61.रुधित (Blood) क्या है ?
उत्तर– रुधिर एक संयोजी उत्तक है जो पदार्थों के परिवहन या संचरण हेतु माध्यम प्रदान करता है.
62. सामान्य मनुष्य में लगभग कितना खून होता है?
उत्तर– 6 लीटर
63. प्लाविका या प्लाज्मा क्या है?
उत्तर– प्लाज्मा रक्त में निर्जीव द्रव पदार्थ है जिसका 90% भाग जल होता है. यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा पदार्थ है. यह रक्त का थक्का जमने में सहायक है. पदार्थों के और शोषण और रोग निरोधी क्षमता प्रदान करने में सहायक है.
64.RBC क्या है?
उत्तर-RBC रुधिर का ठोस घटक है. इसमें मौजूद लाल वर्णक हिमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल होता है यह O2 और CO2 के परिवहन में सहायक है.
65.RBC का निर्माण कहां होता है?
उत्तर– लाल अस्थि मज्जा में
66. रक्त परिसंचरण में RBC की आयु क्या है?
उत्तर– 20 से 120 दिन
67. प्रति घन मिलीमीटर रक्त में RBC की संख्या क्या है?
उत्तर– 45 से 50 लाख
68.WBC क्या है?
उत्तर– WBC रुधिर का ठोस घटक है जो रोगों के संक्रमण से रक्षा करता है. यह रोगाणुओं को निगलकर उसका सफाया करता है.
69. प्रति 1 मिलीलीटर रक्त में WBC की मात्रा क्या है?
उत्तर– 8000
70. प्लेटलेट क्या है?
उत्तर– प्लेटलेट रुधिर का ठोस भाग है जो चोट या घाव के स्थान पर रक्त को जमाने में सहायक है.
71. रुधिर के कार्य लिखें?
उत्तर– रुधिर के निम्नलिखित कार्य हैं:-
- पचे हुए भोजन का परिवहन
- O2 का परिवहन
- CO2 का परिवहन
- उत्सर्जी पदार्थ हो का परिवहन
- हार्मोन का परिवहन
- रक्त स्कंदन
- उस्मा का वितरण
- संक्रमण से सुरक्षा
72. हृदय क्या है?
उत्तर– हृदय एक केंद्रीय पंप अंग है जो रुधिर को रुधिर वाहिनीयो में आगे की ओर ढेलता है.
73. ह्रदय कोष्ठों में क्यों बंटे रहते हैं ?
उत्तर– रुधिर को O2 और CO2 दोनों का वहन करना पड़ता है. अतः O2 युक्त रुधिर को CO2 युक्त रुधिर से मिलने से रोकने के लिए ह्रदय कई कोष्ठों में बंटा रहता है.
74. मानव शरीर में ह्रदय कहां अवस्थित है?
उत्तर– मानव शरीर में हृदय बायीं ओर पसलियों के निचे और फेफड़ो के बीच स्थित होता है .
75. ह्रदय के कोष्ठको को समझावें |
उत्तर– ह्रदय दो अर्ध भागो दाएं और बाएं में बंटा होता है . ये दोनों भाग एक भीती द्वारा एक दूसरे से पृथक होते हैं. इस भीती को सेप्टम कहते हैं. ह्रदय के प्रत्येक अर्धांश में दो वेश्म या चेंबर होते हैं. इनमें पतली भीती वाले चेंबर को आलिंद तथा मोटी भीती वाले चेंबर को निलय कहते हैं .
आलिंद और निलय भी भिती द्वारा दो भागो में बंटी होती है जिन्हें बयां आलिंद ,दायाँ आलिंद और बायाँ निलय, दायाँ निलय कहते है . दोनों आलिंद एक साथ सिकुड़ता है जिससे रक्त निलय में जाता है फिर निलय सिकुड़ता है और रक्त महाधमनियों में ढेल दिया जाता है.
76. बायाँ आलिंद – बायाँ निलय कपाट (वाल्व) को क्या कहते है ?
उत्तर – द्विवलनीकपाट
77. दायाँ आलिंद – दायाँ निलय कपाट को क्या कहते है ?
उत्तर– त्रिवलनीकपाट
78. हृदय की क्रिया विधि का सचित्र वर्णन करें.
उत्तर –

हृदय में महाशीरा द्वारा अशुद्ध रक्त सर्वप्रथम दायाँ आलिंद में प्रवेश करता है. वह संकुचित होकर अशुद्ध रुधिर को दायाँ निलय में पंप करता है. निलय संकुचित होकर फुफ्फुसिया ध्धमनी द्वारा फेफड़ा में पंप करता है जहां रक्त शुद्ध होता है. आलिंद जब फैलता है तब फेफड़े में शुद्ध रक्त फुफ्फुसिया शिरा द्वारा खींच लेता है. फिर बायाँ आलिंद संकुचित होकर शुद्ध रक्त को बायाँ निलय में ठेलता है.
बायाँ निलय संकुचित होकर शुद्ध रक्त को महाधमनी में ठेलता है और रक्त विभिन्न वाहिकाओं द्वारा शरीर के पूरे भाग में जाता है. फिर अशुद्ध होने के बाद रुधिर शिराओ में एकत्रित होकर महाशिरा के द्वारा दायाँ आलिंद में आता है. यह क्रिया बार-बार दोहराई जाती है. इस प्रकार दायाँ आलिंद और दायाँ नीलय में अशुद्ध रक्त होता है तथा बायाँ आलिंद और बायाँ निलय संकुचित होता है और जब निलय फैलता है तब आलिंद संकुचित होता है.
79. परम पूजनीय संकुचन दाब क्या है ?
उतर – धमनी के अंदर रुधिर का जो दाब निलय के प्रकुंचन द्वारा होता है वह प्रकुंचन दाब कहलाता है. यह दाब उतना ही होता है जितना कि 120 mm पारे के स्तम्भ द्वारा दाब उत्पन्न होता है .
80. अनुशिथिल दाब क्या है ?
उत्तर – धमनी के अंदर रक्त का जो दाब अनुशिथिलन के दौरान होता है उसे अनुशिथिलन दाब कहते है . यह दाब उतना ही होता है जितना की 80 mm पारे के स्तम्भ द्वारा उत्पन्न होता है .
81. ब्लडप्रेशर (BP) क्या है ?
उत्तर – रुधिर वाहिकाओं की भीती के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब या ब्लड प्रेशर कहते हैं. यह दाब शिराओ की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है धमनी के अंदर रुधिर का प्रकुंचन दाब 120 mm (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब 80 mm (पारा) सामान्य रूप से होता है जिसे 120/80 द्वारा दर्शाया जाता है. उम्र के बढ़ने के साथ या अवस्था होने की स्थिति में यह घटता बढ़ता रहता है. रक्त दाब को स्फाइग्मो मैनोमीटर नामक यंत्र से रक्तदाब मापा जाता है. उच्च रक्तदाब से तनाव उत्पन्न होते हैं तथा धमनी भी फट सकती है.
82. धमनी क्या है?
उत्तर – हृदय से रुद्रपुर विभिन्न अंगों तक ले जाने वाली रुधिर वाहिनीयो को धमनी कहते हैं. इसमें शुद्ध रुधिर या ऑक्सीजनित रुधिर का बहाव होता है. इसकी दीवारें अपेक्षाकृत मोटी, पेशीय और लचीली होती है. इसी कारण यह फैल सकता है और सिकुड़ सकता है. यह विभाजित होकर कोशिकाओं का निर्माण करती है जिसकी पतली भीती द्वारा पदार्थों का विनिमय हो सकता है. धमनी के दाब सहन करने की उच्च क्षमता होती है .
83. शिराएँ क्या है ?
उत्तर – शरीर के विभिन्न अंगों से अशुद्ध रक्त जिन रुधिर वाहिकाओ से हृदय में आता है उससे शिरा कहते हैं. इसकी भीति पतली और दीवारें कम पेशीय होती है. इसमें मौजूद कपाट रुधिर को उल्टी दिशाओं में बहने से रोकते हैं.
84. धमनी और शिरा में क्या अंतर है ?
उत्तर– धमनी और शिरा में निम्नलिखित अंतर है:-
धमनी | शिरा |
---|---|
यह रुधिर को ह्रदय से विभिन्न अंगो तक ले जाती है. | ये रुधिर को विभिन्न अंगो से एकत्र करके वापस ह्रदय में पहुँचाती है |
इसमें शुद्ध रक्त का भाव होता है | इसमें अशुद्ध रक्त का बहाव होता है . |
इसमें कपाट नहीं होता | इसमें कपाट होता है |
इसमें रक्त उच्च दाब पर झटके के साथ बहता है | इसमें रक्त का भाव धीरे-धीरे होता है. |
इसकी दीवार मोटी एवं लचीली होती है . | इसकी दीवार पतली और कम लचीली होती है |
85. शिराओं में बहने वाला रुधिर नीला क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर – त्वचा में पिला वर्णक उपस्थित रहता है. दूसरी ओर रुधिर का रंग लाल होता है. दोनों रंगों के संयोजन से ही शिराओं में बहने वाला रक्त नीला दिखाई देता है.
86. रुधिर वाहिकाओं के विभाजन प्रक्रिया को स्पष्ट करें |
उत्तर– हृदय से महाधमनी विभाजित होकर धमनी में, धमनी विभाजित होकर धमनिका में और धमनीका विभाजित होकर केशिका में बदलती है. फिर कोशिका संयोजित होकर शिरिका, शिरिका संयोजित होकर शिरा तथा शिरा संयोजित होकर महाशिरा बनाती है
महाधमनी ->धमनी ->धमनिका ->केशिका |
केशिका ->शिरिका -> शिरा->महाशीर |
87. BP (ब्लड प्रेशर) मापने वाले यंत्र का क्या नाम है?
उत्तर – स्फाइग्मो मैनोमीटर
88. हृदय की धड़कन मापने वाले यंत्र का क्या नाम है?
उत्तर– स्टैथोस्कोप
89. उच्च रक्तदाब ( H.BP) से क्या होता है?
उत्तर– उच्च रक्तदाब से तनाव होता है और तनाव से क्रोध होता है. धमनियों के भी फटने और रक्त स्राव का डर होता है.
90. प्लेटलेट्स क्या है?
उत्तर– प्लेटलेट्स एक रंगहीन तथा अनियमित आकार की कोशिका है. यह रक्त परिसंचरण के साथ भ्रमण करता है.यह चोट या घाव के स्थान पर रक्त को जमाने में सहायक प्रदान करता है जिससे रक्त स्राव रुक जाता है.
91. लसीका क्या है? इसके कार्य लिखें.
उत्तर– रक्त में रुधिर एवं अन्य कोशिकाओं के मध्य होने वाले पदार्थ का आदान-प्रदान उत्पन्न द्रव में होता है . ये उत्तक द्रव जब वाहिनीयों में एकत्र हो जाती है तब उसे लसीका कहते हैं. यह हल्के पीले रंग का होता है. इसमें अल्प मात्रा में प्रोटीन होती है. अवशोषित वसा का वहन इसी के द्वारा होता है.
92. जाइलम क्या है ?
उत्तर– पादपों में पाया जाने वाला जाइलम एक संवहन उत्तक है,जिसके द्वारा जल एवं खनिज लवणों का परिवहन ऊपर की ओर पतियों तक होता है.
93. फ्लोएम क्या है?
उत्तर– पादपों में पाया जाने वाला फ्लोएम एक संवहन उत्तक है जो घुलित खाद्य पदार्थों का परिवहन तनों एवं जड़ों तक करता है.
94. जाइलम और फ्लोएम में क्या अंतर है ?
उत्तर– जाइलम और फ्लोएम में निम्न अंतर है ;
जाइलम | फ्लोएम |
---|---|
यह पौधों में जल एवं खनिज लवण मूल रोमों से विभिन्न भागो तक पहुँचता है | यह घुलित खाद्य पदार्थो को पौधों के विभिन्न भागो तक पहुँचाता है |
इसमें परिवहन नीचे से उपर की ओर होता है | इसमें परिवहन सभी दिशाओं में होता है |
परिवहन कार्य के लिए उर्जा की आवश्यकता नहीं होती | परिवहन कार्य के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है |
95. वाष्पोत्सर्जन क्या है?
उत्तर– पादपों में वायवीय भागो द्वारा वाष्प के रूप में जलहानी को वाष्पोत्सर्जन करते हैं.
96. वाष्पोत्सर्जन से क्या लाभ है?
उत्तर- वाष्प उत्सर्जन से निम्न लाभ है;
- इसी के कारण जाइलम में जल की गति होती है
- यह जल अवशोषण में सहायक है
- यह पदार्थों के परिवहन में भी सहायक है
97. उत्सर्जन क्या है?
उत्तर– उपापचय के फल स्वरूप शरीर में बने बेकार और हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निष्कासित करने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं.
98. मानव शरीर में उत्सर्जी अंग कौन कौन है?
उत्तर– त्वचा, वृक्क (किडनी), फेफड़ा
99. वृक्क कहां उपस्थित होते हैं ?
उत्तर– वृक्क सेम के बीज के आकार के होते हैं; जो उदर गुदा के पीठ की ओर कमर के क्षेत्र में कशेरुक दंड के दोनों ओर एक-एक के रूप में होते है .
100. नेफ्रॉन या वृक्काणु क्या है ?
उत्तर– नेफ्रॉन में प्याली सी संरचना होती है जिसे वोमेन संपुट कहते हैं. एक कुंडलित नलिका निकलती है जो वृक्क पेल्विस में प्रवेश करती है फिर वह नलिका चौड़ी हो जाती है. इसके बाद वह पुनः कटैक्स क्षेत्र में चली जाती है. जहां जाओ फिर कुंडलीत होती है तब यह बडी वाहिनी में खुलती है, जिसे संग्राहक नलिका कहते हैं. इसमें कई नेफ्रॉन की नलिकाएँ खुलती है. या द्रव को वृक्क पेल्विस में ले जाती है जो मूत्राशय में खुलता है.
(Chemistry)Lesson 1. Objective Question-रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Bihar board class 10 Chemistry Lesson 1 Subjective (रासायनिक अभिक्रियाए एवं समीकरण)
101. केशिका गुच्छ या ग्लाँमेरुलस क्या है ?
उत्तर– वृक्क में वृक्क धमनी अनेक पतली शाखाओं में बंट जाती है और फिर बोमन संपुट में प्रवेश करती है फिर यह बार-बार विभाजित होकर एक गुच्छा बनाती है, जिसे की कोशिका गुच्छ कहते हैं. बाद में ये संयोजित होकर बोमन संपुट से निकलकर नेफ्रॉन की नलिकाओं को ढँक लेती है .
102. नेफ्रॉन की कार्य करने की विधि को समझावें .
उत्तर– नेफ्रॉन को रुधिर से उत्सर्जित पदार्थो को हटाना भी होता है और पोषक तत्वों को बनाये रखना भी होता है . यह दो चरणों में सम्पन्न होता है:-
(i). निस्यंदन :-
यह केशिका गुच्छ में सम्पन्न होता है . इसमें मूत्र एकत्र कर लिए जाते है . परंतु कुछ लाभदायक पोषक तत्व जैसे:- ग्लूकोज, एमिनो अम्ल, लवण भी रुधिर से छान लिए जाते है .
(ii) पुनराव शोषण :-
रुधिर से छना हुआ निस्यंद जब नेफ्रॉन की नलिका में प्रवाहित होता है तब ग्लूकोज एमिनो अम्ल आदि पदार्थो को नेफ्रॉन की नलिकाओं को लपेटने वाली धमनी अवशोषित कर लेती है . अब नेफ्रॉन की नलिकाओं में सिर्फ मूत्र एवं अन्य उत्सर्जी पदार्थ रह जाते है, जो वृक्क पेल्विस के द्वारा मूत्राशय में चले जाते है.
103. मूत्र के प्रमुख धटक कौन-कौन है ?
उत्तर– यूरिया, जल, सोडियम क्लोराइड, यूरिक अम्ल, युरोक्रोम
104. वृक्क के महत्वपूर्ण कार्यो को लिखे –
उत्तर– वृक्क के महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं;
- यूरिया एवं अन्य नाइट्रोजनी पदार्थों का उत्सर्जन करना
- जल संतुलन बनाए रखना
- अम्ल-क्षार संतुलन बनाए रखना
- लवण संतुलन बनाए रखना
- रक्त कोशिकाओं का निर्माण भ्रूणावस्था में करना
105. डायलिसिस क्या है ?
उत्तर– कृत्रिम वृक्क द्वारा रुधिर से वज्य पदार्थों का निष्कासन डायलिसिस कहलाता है.
106. वृक्क प्रतिरोपण क्या है?
उत्तर-वृक्कों के खराब होने की स्थिति में स्वस्थ व्यक्ति द्वारा प्रदान किए गए सुमेल वृक्क का शल्य (ऑपरेशन) क्रिया द्वारा प्रतिस्थापन वृक्क प्रतिरोपण कहलाता है.
पाठ-2अम्ल क्षारक एवं लवण | Acids, Bases and Salts का all objective question
>>दुनिया की सबसे लम्बी नदी कौन सी है?
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